एक नगर के छोटे से गांव में प्रेम प्रसंग को लेकर बहुतायत क्रूरता से एक नवयुवक बाकायदा अपनी प्रेमिका का पीछा करके फिर गांव लौटते समय वह रास्ते में अपने रिश्ते के भाई के साथ बाईक पर जा रही प्रेमिका को प्रेमी लात मार कर गिरा देता है और फिर मोटरसाइकिल से उतर कर गिरकर संभलती प्रेमिका को प्रेमी तमंचे से पहला फायर उसके मूंह पर करता है और फिर इस तरह से अपनी प्रेमिका को गाली देते हुये लगातार चार पांच गोली मार देता है बिना किसी पछतावे के यह कहते हुये कि गर तू मेरी न हुई तो इस जन्म में तुझे होने किसी का न देंगे. . जैसे अल्फाज मोहब्बत न में पागल हुये आशिक को हैवान बना देते हैं और वह मोहब्बत में बेवफा़ई के नाम पर समाज को वीभत्स बना देता है जब बौखलाया प्रेमी मरी हुई प्रेमिका के बाल पकड़ कर बेखौफ घसीटता है कपड़े फाड़ता है।
आखिर क्यों आज समाज में महिलाएँ खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं और किशोरावस्था के हालात में उनके विवाह तक वह इश्क़ के जाल में फंसकर असुरक्षित हैं आज के आपाधापी भरे इस जमूरियत समाज में. .आखिर क्यों. ..
सच पूंछो तो आज महिलायें समाज में सबसे ज्यादा प्रेम प्रसंग के चलन को लेकर असुरक्षित हैं. .क्योंकि समाज में आज मोहब्बत का नशा दारु शराब के नशे से ज्यादा चलन में है और यह इश्क़ का नशा बेवफाई के दर्द में आदमी को जान लेने को मजबूर कर देता है। क्योंकि एकतरफा प्यार या प्यार में बेवफाई हद से ज्यादा आदमी को हैवानियत का शिकार करती है. .यह इश्क़ का नशा आज लगभग सौ प्रतिशत एंड्रॉयड फोन के कांटैक्ट में होता है. .और यह एंड्रॉयड फोन आज आदमी को एक अलग ही मानसिकता का बना रहा है. .जो एकांतर में अपराध की ओर ले जाती है।
आज जहां महिलायें प्रेमजाल में अपने जीवन की सुखद अनुभूतियाँ महसूस करती हैं और खुद को प्यार की जुदाई में असुरक्षित भी कर रही होती हैं जब सम्बन्ध खत्म हो रहे होते हैं। जिसका नतीजा फतेहगंजपूर्वी के एक गांव में आशिक के द्वारा पांच गोली मारकर सड़क पर घसीट कर प्यार में बेवफाई का अंजाम देता रहा और मौके पर कोई मौजूद न था. .अंजाम को बचाने वाला ।
आज किशोरावस्था में महिलाओं पुरुषों की हत्यायें प्रेम प्रसंगों की बजह मुख्य होती है. .जिनमें महिलाओं की हत्यायें सबसे ज्यादा हैं। आज प्रसंग जहां किशोर महिलाओं और पुरुषों की हत्याओं की बजह है तो वहीं इस प्रेम प्रसंग की बजह से परिवारिक हत्यायें जिनमें माता पिता या अन्य परिवारिक सदस्यों की हत्या भी प्रेम प्रसंग के खुलासे पर या फिर प्रेम प्रसंग की दीवानगी का मिलन हो ऐसी सोच पर अपराध को जन्म दे देता है. . फिलहाल इश्क़ मुजरिम बनता जा रहा है। हर रोज महिलाओं को लेकर अपराधों का एक नया अंदाज निकल कर आता है। कभी एकतरफा प्यार की रुसवाई में आशिक प्रेमिका पर एसिड फेंक देता है तो कभी प्रेमी प्रेमिका की बेवफाई पर उसका गला रेत देता है तो कभी प्रेमी प्रेमिका पूरा परिवार ही खत्म कर देते हैं तो कहीं अवैध सम्बंधों को लेकर हत्यायें समाज को भयावह बना रही हैं. .आखिर क्यों यह मोहब्बत का चलन आज समाज में भयावह त्रासदी का जोन बनता जा रहा है।
महिलाएँ समाज में तभी सुरक्षित होंगी जब यह मोहब्बत का घटिया राग छोड़ अपने मां बाप उनके परिवार की इज्ज़त बनना शुरु करेंगी। तब यह प्यार व्यार में किशोर महिलाओं की होती हत्यायें रुकेंगी और महिलाएँ सुरक्षित होंगी।
एक लड़की जब मोहब्बत के जाल में फंसती है तब उसे अपने घरवालों से आनरकिलिंग व अपने प्रेमी से बेवफाई पर जान का खतरा हो ही जाता है और यह खतरा मौके पर प्रतिशतता में अपराधशास्त्र का मूमेंट बन ही जाता है जो सब खत्म कर देता है. .तो ऐसे हालात में एक औरत को प्यार में असुरक्षितता ही मिलती है बस कुछ फीलिंग के आनंद में जिसे समाज परिवारिक संस्कृति का दुश्मन मानता है।
आज यह इश्क़ की दीवानगी समाज में किशोर हत्या को बढ़ावा दे रही है तो वहीं इश्क़ में मिलन की सोच भी अपराध पैदा कर रही है और समाज अपने ही पैदा किये खून से असुरक्षित महसूस कर रहा है।
एक महिला लड़की को अपना चलन परिवार की संस्कृति बनाये रखने के लिये इश्क़ जैसे पागलपन से मुक्त होना होगा तब मां बहिन बेटियां सुरक्षित होंगी. .