आज पहली बार दुनिया छोटी लग रही है ।
आज पहली बार उन चंचल नज़रों में तलाश झलक रही है .....।
आज पहली बार ख्वाहिशों ने सांस ली है,
पंखों ने इतिहास रच दिया है...
क्योंकि आज!,, आज एक नन्हे परिंदे ने उड़ना सीख लिया है ...।
नन्हीं ख्वाहिशों ने आज आसमान छुआ है।
मत रोको! उन ख्वाहिशों को आज पूरा होने दो।
पंख तोड़ने वाले तो कई मिलेंगे,,,
तुम तो उड़ान भर लेने दो...।
आज पहली बार क्षितिज से होड़ लगी है।
सीमाओं को भी उसने परास्त किया है...
क्योंकि आज!,, आज एक नन्हें परिंदे ने उड़ना सीख लिया है।
आज़ादी का मर्म उसने आज हीं तो जाना है...।
अब पर ना काटो उसके , उसे मंज़िल को भी पाना है।
स्वर्ण पिंजर में न बांधो, वह वहीं तड़प मर जाएगा।
अभी तो पर फैलाए हीं हैं, उसे बहुत आगे तक जाना है।
आज तो बस उसने अपने पहले सपने को किया है...
क्योंकि आज!,, आज एक नन्हें परिंदे ने उड़ना सीख लिया है।
ख्वाबों की उड़ान उसने आज हीं तो ली है...।
सांसारिक वास्तविकता से परिचित वो आज ही तो हुआ है...।
अब ख्वाब न छीनो उसके, वह फिर बिखर जाएगा।
बहुत मुश्किल से इन्हे समेत कर नील गगन को छुआ है।
आज हीं तो उसने लक्ष्य तक जाने का पहला प्रयास किया है ...
क्योंकि आज!,, आज एक नन्हें परिंदे ने उड़ना सीख लिया है।
कितनी जिज्ञासा है उसके भीतर, नीले नभ में उड़ने की।
हृदय में बस एक भाव हीं है, इस ख्वाहिश को जी लेने की।
जाने थकान आज गई कहां? ना नींदें हीं हैं आंखों में।
वैसे तो वो जाग रहा है , फिर भी गुम है ख्वाबों में...।
क्षितिज को ढूंढने का यह अंदाज वाकई नया है।
क्योंकि आज!,, आज एक नन्हें परिंदे ने उड़ना सीख लिया है।......
क्योंकि आज एक नन्हें परिंदे ने उड़ना सीख लिया है...
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you can relate this poetry,,, with the life conditions of a girl......
आखिर स्त्री जीवन के संघर्ष इससे कम नहीं होते हैं,,, पर वो कहते हैं न... कि
" जहां चाह वहां राह"...
तो बाधा रूपी चट्टानों को पार कर एक स्त्री जीवन का पार पा लेती है और फिर सृजन करती है एक नए जीवन का....।
धन्यवाद!💐
Nainsi Goswami...!🙏🏻