मन की व्यथा को शब्दों में पिरोना भी एक अद्भुत कला होती है फिर चाहे काव्य की सूरत में हो या कहानी और चाहे लेख के रूप में , ये कला माँ सरस्वती की पूर्ण कृपा से ही व्यक्ति को प्राप्त होती है ... स्वर्गगंगा की सीपियाँ - शब्दin पर मेरी प्रथम काव्य पुस्तिका है ... जैसे पुस्तक का शीर्षक है वैसे ही पुस्तक की कविताओं में प्रेम , वियोग , विरह , भावना , सत्यता , वफ़ा , परिस्थितियां और जीवन की अनेक सीपियाँ सांस ले रही हैं .. / लेखक धरती के समंदर की सीपियों का अभिलाषी नहीं है उस की कामना तो गगन मंडल में शुशोभित स्वर्ग गंगा की सीपियाँ हैं ये वो सीपियाँ हैं जो की अविनाशी हैं ... / बाकी कुछ - मेरे पाठक गण कविताओं को पढ़ कर खुद ही समझ जाएंगे .... . . लेखक ✍️ - कुमार ठाकुर is