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अमन

8 सितम्बर 2016

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जाने इस मुल्क को क्या हो गयाहै ..........जो था कभी अमन अब वो बेचैन सा हो गया है ......लोग चाहे अनचाहे कुछ तो कर रहे हैं ......पर समझ में नहीं आता ये क्या कर रहे हैं ...बेहिस हो कर रूक जाता हूँ .....रास्तों से बहुत आहात सी आती है .....सुनाता हूँ समझता हूँ और फिर बेहिस हो कर रुक जाता हूँ ......मैं खुद से सवाल करूँ या लोगों से ......गलत क्या है सही क्या मैं नहीं समझता पर अमन क्या है यही समझ पाया हूँ .......पता नहीं क्यों लोग इतनी छोटे शब्द का अर्थ समझने कीभूल ,पुरे मुल्क को समझाने की नाकाम कोशिश में क्यों लगे हैं

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आखिरकार मैं भीग ही गया जिस बारिश की दरकार न थीन जाने कितनी ख्वाहिशे आंसू बने न जाने कितने इंतकाम हुए जब भी रस्ते मुश्किल लगे न जाने कितने राहगीरो के लगाम लगे मंजिलें इन कड़कती बिजलियों से दूर लगने लगे पर उमीदों की छतरी से रस्ते आसान लगेआखिरकार मैं भीग ही गया

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अमन

8 सितम्बर 2016
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जाने इस मुल्क को क्या हो गयाहै ..........जो था कभी अमन अब वो बेचैन सा हो गया है ......लोग चाहे अनचाहे कुछ तो कर रहे हैं ......पर समझ में नहीं आता ये क्या कर रहे हैं ...बेहिस हो कर रूक जाता हूँ .....रास्तों से बहुत आहात सी आती है .....सुनाता हूँ समझता हूँ और फिर बेहिस हो कर रुक जाता हूँ ......मैं खुद

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