अमन
जाने इस मुल्क को क्या हो गयाहै ..........जो था कभी अमन अब वो बेचैन सा हो गया है ......लोग चाहे अनचाहे कुछ तो कर रहे हैं ......पर समझ में नहीं आता ये क्या कर रहे हैं ...बेहिस हो कर रूक जाता हूँ .....रास्तों से बहुत आहात सी आती है .....सुनाता हूँ समझता हूँ और फिर बेहिस हो कर रुक जाता हूँ ......मैं खुद