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अमर प्रेम की एक नयी कहानी गढ़ो

7 दिसम्बर 2015

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मैं जो लिखू सदा 

उसकी तुम जुबा बनो 

ख़त्म ना हो वो मेरी निशानी गढ़ो

तुम बनो हा तुम मेरी भार्या बनो 

अमर प्रेम की एक नयी तुम कहानी गढ़ो


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