हिम पर्वत सा जमा हुआ था मैं
तेरे छुने से एक गर्माहट हुई
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
5 दिसम्बर 2015
हिम पर्वत सा जमा हुआ था मैं
तेरे छुने से एक गर्माहट हुई
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
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मैं जो लिखू सदा उसकी तुम जुबा बनो ख़त्म ना हो वो मेरी निशानी गढ़ो तुम बनो हा तुम मेरी भार्या बनो अमर प्रेम की एक नयी तुम कहानी गढ़ोD