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अवधी कवि व भोजपुरी गीत लेखक गायक

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वृक्ष हमें जीवन देंगे

25 दिसम्बर 2016
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कह गये "अनिल साकेत पुरी भइ ।इक दिन ऐसा आयेगा ॥फोटो मे हरियाली होगी। बाग नजर नही आयेगा ॥कट गये अँग सब बृक्षन के ।अब छाँव कही ना मिलते है ।घर बन गये कँकर पत्थर से ।अब गाँव कँही ना मिलते हैं। इक दिन ऐसा आ जाएगा हम सांस भी न ले पाएंगे। तरसेंगे ठंडी हवा को भीजो वृक्ष सभी कट जाएंगे।। कुछ सोचो जो तुम कर रह

जनता के आँसू

16 दिसम्बर 2016
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भुल गया हूँ लाइन मोदी आकर मुझे बता दो तुम ।धरती पर है अन्न छीटना आकर अन्न दिला दो तुम ॥कहते खुद को संहसाह यह कैसी साहंसाही है ।बीमार हो गया हूँ लाइन मे आकर दवा दिला दो तुम ।भूख से बच्चे बिलख रहे है खुद भी भूखा प्यासा हूँ ।विजय माल्या ,अनिल, अडानी, के जैसे ना पासा हूँबस आकर लाइन तुम गिन लो इतने का अ

इहै हउवै भइया मोरे भारत कै बस्ती ( गाँव दर्शन)

5 दिसम्बर 2016
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जँहवा देखाय पाँच सालन मा हस्ती ।उहै हउवै भइया मोरे भारत कै बस्ती ॥ढनगै दुवारे पै टाठी अव लोटा ।अौ लोटा के बगलै ऊ बाँसे कै सोंटा ॥छनही मा लडि बइठै अपुनै मा कुश्ती ।दिन भै कमाय करै संझा के मस्ती ॥इहै हउवै भइया मोरे भारत कै बस्ती ॥फटेहाल कुर्ता फटा बा पजामा ।फटेहाल सुइटर फटा है दुशाला ॥बहेला दुवारे पण्

हे धनिया हमका पियाय दिया वाटर ( लोकगीत)

27 नवम्बर 2016
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लीजिये मित्रों आपकी सेवा मे एक और अवधी रचना पेश कर रहा हूँ ॥हे! धनिया हमका पियाय दिया वाटर ।२ अब हम ना पीबै ठेंका परकै क्वाटर ॥हे! धनिया हमका पियाय दिया वाटर ।क्वाटर के पीछे हो गइल घरा नाश हो ।मुन्ना औ मुन्नी कै रोकेंन विकाश हो ॥बात बिना बात तुहैं मार दिहन झापर हे! गोरिया हमका...........क्वाटर के

एक मतला

25 नवम्बर 2016
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प्रधानमँत्री पहिला देखेन खेला अइसन पारी ।ठकुरन का गोडवारी भेजिस सूदन का मुडवारी ॥सूदन का मुडवारी भेजि के ऐसा गजब ढहाया ।सेठ लगे लाइन मा सोचैं अबकी हमरी बारी ॥

बदल गयी दुनिया ( अवधी लोकगीत)

25 नवम्बर 2016
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ल्या भैय्या लोगौ एकठी अउर तैयार बा 😄 हे ! मँगरू चाचा गजब होइगै दुनिया ।हे! मँगरू चाचा गजब होइगै दुनिया ॥नेता बनाया जेका दूनौ परानी ।धोया चरन जेकै लोटा भरि पानी ॥वई तोहरे घरवा मा कराथे लुटनियाहे! मँगरू चाचा .........खायं जउने थरिया करै वहि मा छेदवा ।कुर्सी के खातिर नेता बेंचे ईमनवा॥हाय हसन हाय हसन क

माँ का आँचल

16 नवम्बर 2016
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चन्द लाइनें मेरे उन भाईयों कि लिये जो परदेश मे रह रहे है ॥,,ऐ माँ तेरे आँचल की ओ याद बहुत आती है ।जँहा पे खेला बचपन वो छाँव बहुत भाती है ॥ताल तलैया आम की बगिया ,जँहा पे खेला बचपन है ।वो हिन्दुस्तान की माटी हमको याद बहुत आती है ॥,,,,सुबह सुबह वो दूध भात माँ जब तू हमे खिलाती थी ।मेरे तन को रगड रग

बदन दिखाऊ प्रेम आज का

15 नवम्बर 2016
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बेलेन्टाइन डे यानि प्रेम दिवस ।यानि बची खुची सभ्यता का विलोप करना ।मै मानता हूँ कि प्रेम एक अमूल्य रत्न है जिससे भगवान भी नही बच सके ।लेकिन प्रेम ,प्रेम से किया जाता है परदे मे प्रेमालाप।आज का प्रेमालाप तो कुछ और ही प्रमाण दे रहा है ।जिसे हवसालाप कहने मे कोई सँकोच नही ।आज का बेलेन्टाइन डे अगर यू ह

आज की लाचारी (नोट समस्या)

15 नवम्बर 2016
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काव करै जनता बेचारी ।रुपयवा मिलै ना उधारी॥सबही का सौ सौ कै रुपयय तौ चाही ।लियै का हजारा कराथे मनाही ॥कइसे का होये किसानी, रुपयवा मिलै ना उधारी पाँच सौ हजारा कै छूट गयल माया ।दुर्गति जिनगिया भय नयी नोट छाया ॥पँचसउवा लियै ना भिखारी रुपयवा मिलै मा उधारी ॥गेंहूँ अव सरसौ कै मूडे बोवाई ।कइसे का खेतवा मा

कुदरत का खेल निराला है ।

14 नवम्बर 2016
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कुदरत का खेल निराला है, कुदरत का खेल निराला है ।कोइ गोरा है कोई काला है, कुदरत का खेल निराला है ॥कोइ बाहर लडने वाला है, पर घर मे डरने वाला है ।कोइ बाहर डरने वाला है, पर घर मे लडने वाला है ॥कोई झील का पानी पीता है, कोई नमक चाट कर जीता है ।कोई फ्रिज का पानी पीता है, कोई बोतल व्हिसकी पीता है ॥कोई ब

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