जन्म लिया इंसानों में
बांट दिया इंसानों ने
कहां है भगवान
नहीं पहचान इंसानों में
छक्का है इंसानों में
पूजते हैं अनुष्ठानों में
घर की बात नहीं
यमदीप है जमाने में
तन-मन फंसा पैमानो में
अस्तित्व नहीं मेरा नर-नारी में
मान की बात नहीं सिर्फ
इस जिंदगानी में
शोषण सब चाहते ,नाम नहीं कहानी में पल भर का साथ ,काम नहीं जिंदगानी में
हृदय से खेल खिसक जाते
पर मान नहीं,जमाने में
-शंकर सुमन
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