अनुराग जी इन दिनों काफी परेशान हैं I कुछ साल पहले उनकी बेटी मनीषा को नगर निगम से एक भूखंड आवंटित हुआ था I ऐसे सभी भूखंडों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा अपना एक पुराना नियम अब सख्ती से लागू कर दिए जाने के कारण मनीषा के भूखंड के विषय में भी कुछ औपचारिकताओं का तत्काल पालन आवश्यक है लेकिन इसकी
प्रक्रिया स्वयं मनीषा अथवा उनके द्वारा किसी कानूनी दस्तावेज़ के माध्यम से अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा ही संपन्न की जा सकती है परंतु वह तीन महीने पहले उच्चतर शिक्षा के एक दोवर्षीय पाठ्यक्रम के लिए अमेरिका जा चुकी हैं और यह अवधि समाप्त होने से पहले भारत आ नहीं सकतीं I उनकी तरफ से उनके भूखंड से संबंधित कार्य संपन्न करवाने के लिए औपचारिक अधिकार भारत में किसी के भी पास नहीं हैं I भूखंड पर भारी जुर्माना शुरू हो चुका है और एक वर्ष की अवधि में भी राजकीय नियम का पालन नहीं हो पाने की स्थिति में आवंटन निरस्त भी हो सकता है I जुर्माने का भुगतान भी मनीषा या उनका कोई अधिकृत प्रतिनिधि ही कर सकता है I मनीषा द्वारा भारत में किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकार देने वाले कागज़ात अमेरिका में भी तैयार करवाए जा सकते हैं लेकिन वहां यह काम उनके लिए बहुत मुश्किल भी होगा और काफी
ज्यादा खर्चीला भी I
अनुराग जी की इस परेशानी के समान समस्या का बहुत लोगों को अक्सर सामना करना पड़ता है I अपने परिवार का कोई सदस्य कभी लंबे समय के लिए कहीं दूर जाए अथवा गंभीर रूप से अस्वस्थ हो जाए तो उसकी किसी संपत्ति, व्यापार आदि से जुड़े कई तरह के कामों में अचानक ही अड़चन पैदा हो सकती है I इस दिक्कत को दूर करने के लिए मुख्त्यारनामा
सबसे व्यावहारिक उपाय है I इसे ‘पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी’ के नाम से भी जाना जाता है I इसके माध्यम से किसी-भी प्रकार की चल या अचल संपत्ति, व्यापार आदि के संबंध में अपने किसी-भी भरोसेमंद वयस्क व्यक्ति को कुछ सामान्य या असामान्य अधिकार एवं शक्तियां दिए जा सकते हैं I इसे किसी-भी वकील या नीतिपत्र-लेखक से तैयार करवाया जा सकता है I गूगल और यू-ट्यूब पर भी इसके असंख्य प्रारूप उपलब्ध हैं I निर्धारित शुल्क वाले स्टाम्प पेपर पर टंकित प्रारूप को किसी नोटरी पब्लिक से सत्यापित करवाना होता है I कुछ विशिष्ट विषयों वाले मुख्त्यारनामों को अपने राज्य के पंजीयन विभाग से पंजीकृत करवाना अनिवार्य ही होता है I किसी मुख्त्यारनामा का पंजीयन अनिवार्य न होने पर भी इसे पंजीकृत करवा लिए जाने से इसकी प्रामाणिकता बढ़ ही जाती है I सतरंग-सबरंग
मुख्त्यारनामा के दो प्रमुख स्वरूप हैं I किसी विशिष्ट संपत्ति या व्यापार के ही संबंध में अधिकार देने वाला दस्तावेज़ ‘मुख्त्यारनामा खास’ (स्पेशल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी) कहलाता है I यदि मुख्त्यारनामा में किसी विशिष्ट संपत्ति का उल्लेख ना हो अथवा यह एक से अधिक संपत्तियों के संबंध में हो तो इसे ‘मुख्त्यारनामा आम’ (जनरल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी) के रूप में जाना जाता है I इनमें से मुख्त्यारनामा आम सामान्य रूप में अधिक उपयोगी दस्तावेज़ साबित हो सकता है क्योंकि इस एक ही दस्तावेज़ का उपयोग चल संपत्ति, अचल संपत्ति, व्यापार आदि से जुड़े अनेक विषयों पर विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए बार-बार किया जा सकता है I इसका लाभ उन विषयों के लिए भी मिल सकता है जिनकी अपने लिए आवश्यकता की कल्पना वर्तमान में नहीं होती I इसीलिए मुख्त्यारनामा आम में ऐसे विभिन्न विषय भी शामिल कर लिए जाने चाहिएं जिनके लिए भविष्य में कभी-भी किसी काम की ज़रूरत की अभी केवल संभावना ही क्यों ना हो I जिन विभागों, कार्यालयों आदि से कोई कार्यव्यवहार हो सकने की आवश्यकता का वर्तमान में मात्र अनुमान ही हो, उनका भी उल्लेख कर दिया
जाना उपयोगी हो सकता है I अपने मुख्त्यार अर्थात् प्रतिनिधि को दिए जा रहे अधिकारों एवं शक्तियों का विवरण
सुस्पष्ट होना चाहिए ताकि कोई अस्पष्टता या भ्रम किसी कार्य में रुकावट पैदा ना कर सके I सतरंग-सबरंग