औरत ही औरत की दुश्मन होतीआई है।
सास ननद बनकर उसे रुलाती आई है।।
कभी दहेज कम लाने के ताने देती आई है।
कभी संस्कार नहीहोने के ताने देती आई है।।
कभी बेटी के जन्म पर फटकारी जाती है।
कभी कुलक्ष्णी कहकर पुकारी जाती है।।़
ये जुल्म औरत ही औरत के ऊपर करती है।
शायद अपने पर हुए जुल्म का बदला लेती है।।