"बहूँ मुझे माँफ करना। मै तेरी अपराधी हूँ। मै तुझे हमेशा बुरा भला कहती रही परन्तु तूने आजतक लौटकर कोई जबाब नही दिया। तूने मेरी जो सेवा की है इसके लिए मैं तेरी ऋणी हूँ। " इतना कहकर सविता अपनी बडी़ बहू कविता के हाथ अपने हाथौ में लेकर फूट फूट कर रोने लगी।
कविता अपनी सास के आँसू पौछते हुए बोली," नही माँजी आप क्यौ माँफी माँग रही हो। मैने आपसे बहुत कुछ सीखा है। मैने आपकी सेवा करके अपना फर्ज पूरा किया है। मुझे आपसे कोई शिकवा नहीं है।" और उसने उनका सिर अपनी गोद मे लेकर सहलाने लगी।
"बहू यह तेरा बड़प्पन है ।तूने आज तक मेरी किसी बात का लौटकर जबाब नही दिया। मै ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि मुझे तेरी जैसी बहूँ सभी जन्मौ में मिले।" इयना कहते हुए सबिता ने कबिता की गोद मे ही प्राण त्याग दिए।
कविता रामनाथ के परिवार की बडी़ बहू थी। रामनाथ के दो बेटे व एक बेटी थी। रामनाथ एक छोटेसे किसान थे। उनका बडा़बेटारमेश व छोटे का नाम सुरेश था एक बेटी सुमन थी वह सबसे छोटी थी।
बडा़ बेटा रमेश ज्यादा पढा।नहीथा। वह अपने पिताजी के साथ खेती करवाता था। उसकी शादी भी एक किसान की बेटी के साथ हुई थी। रमेश की पत्नी का नाम कविता था।
रामनाथ ने सुरेश को अच्छी शिक्षा दिलवाई थी। सुरेश भी पढ़ने में तेज था। वह पढ़कर बैंक में मैनेजर बन गया था।
रामनाथ की पत्नी को कविता के साथ कभी नही बनती थी वह उसे हमेशा ताने मारती रहती थी क्यौकि कविता के मायके की आर्थिक स्थित कमजोर थी ।लेकिन कविता ने अपनी सास की किसी भी बात का कभी बुरा नहीं माना था।
कविता अपनी सास की सेवा मे भी कोई कमी नही छोड़ती थी। परन्तु उसकी सास उसकी सभी बातौ में कमियाँ निकालती थी और ताने देकर कहती थी कि तेरी माँ ने तुझे अच्छे संस्कार नही दिये देखना सुरेश के लिए पढी़ लिखी सुन्दर बहू लाऊँगी।
रामनाथ अपनी पत्नी को समझाते थे कि तू देख लेना यह कविता ही तेरी सेवा करेगी।तू इसको बहुत परेशान करती है परन्तु वह बेचारी तेरी किसी बात को बुरा नहीं मानती है।
परन्तु सविता पर उनकी बातौ का कोई प्रभाव नही होता था।वह हमेशा उसे टोकती ही रहती थी।
कुछ समय बाद सुरेश की शादी होगयी सुरेश की बहू रंजना बहुत पढी़ लिखी आई साथ में बहुत दहेज लाई।
रंजना किसी का आदर करना भी नहीं जानती थी वह सुबह बहुत देर से जागती थी। पूरे मुहल्ले की औरते उसकी बुराई करती थी।
अब सबिता को कुछ महसूस हौने लगा था कि उसने अपनी बडी़ बहू को यौही परेशान किया है।
इसी दरिम्यान रामनाथ का स्वर्गवास होगया। अब सबिता बहुत दुःखी रहने लगी क्यौकि सुरेश अपनी पत्नी को अपने साथ शहर लेगया।
सुरेश के साथ सबिता भी चलीगयी। परन्तु रंजना ने वहाँ सबिता का नौकरानी से भी बुरा हाँ कर दिया।सबिता घर का सारा काम करती थी । रंजना दर्द का बहाना बनाकर लेटी रहती थी।
जब सुरेश शाम को घर आता तब उसे दिखाने के लिए काम में लगजाती थी। सबिता को अब अपनी बडी़ बहू की याद आती थी क्यौकि कविता ने उसे कभी ज्यादा काम करने ही नही दिया था।
सबिता की तबियत खराब रहने लगी। अब उससे ज्यादा काम नहीं होता था। और एक दिन उसने सुरेश से गाँव जाने के लिए कह दिया।
सबिता जब गाँव आई तब वह शरीर से भी बहुत कमजोर होगयी थी। बडी़ बहू को अपनी सास की बुरी हालत देखकर बहुत दुःख हुआ और उसने उनको कोई काम नही करने दिया।
अब सबिता को अपनी बडी़ बहू पर गर्व महसूस हौने लगा था।
कुछ समय बाद सबिता को पैरालाइस का असर होगया और वह बैड से नीचे भी नहीं आजासकती थी।
रंजना एकबार सुरेश के साथ देखने आई थी उसके बाद उनकी सेवा कविता ने ही की थी। जि। बहू को कभी भी अच्छी नजर से नहीं देखा था आखिर में उसीने सेवा की थी।
अब सबिता को अपने पति का कहा हुआ एक एक शब्द याद आरहा था।