कहानी संग्रह
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<div> "बहूँ मुझे माँफ करना। मै तेरी अपराधी हूँ। मै तुझे हमेशा बुरा भला कहती रही परन्तु
<div> सूरज कलकत्ता के रेलवेस्टेशन पर चाय की दुक
औरत ही औरत की दुश्मन होतीआई है।सास ननद बनकर उसे रुलाती आई है।।कभी दहेज कम लाने के ताने देती आई है।कभी संस्कार नहीहोने के ताने देती आई है।।कभी बेटी के जन्म पर फटकारी जाती है।कभी कुलक्ष्णी कहकर पु