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भूख

2 दिसम्बर 2021

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             सूरज कलकत्ता के रेलवेस्टेशन पर  चाय की दुकान पर बैठा दिल्ली जाने वाली गाडी़ की प्रतीक्षा कर रहा था।

     उस दुकान के आस पास बहुत से छोटे छोटे  बच्चे बैठे थे ।वह सभी चाय वाले की तरफ ताक रहे थे।

       उन बच्चौ को इस तरह ताकता हुआ देखकर सूरज ने चाय वाले से पूछा," ये इतने बच्चे यहाँ क्या कर रहे हैं। और ये सब आपकी तरफ किस जिज्ञासा से देख  रहे है। क्या ये सब यहाँ  खेलने आते हैं। "

     चायवाला बोला ," साहब ये बच्चे यहाँ खेलने  नहीं आये है आप एक कुल्हड़ चाय पीकर देखो आपके प्रश्न का उत्तर आपको स्वतः ही मिलजायेगा। "

     सूरज को चायवाले की बात पर आश्चर्य हुआ और उसने एख कुल्हड़ चाय लेकर पी और उस मिट्टी के कुल्हण को फर्श पर फैका। कुल्हड़ फैकते ही उसके काफी टुकडे़ होगये।

      उन कुल्हड़ के  टुकडौ़ पर वह बच्चे टूट पडे़ और उसके अन्दर बाकी बची नमी को चाटने लगे।

       सूरज उनकी भूख को देखकर सोचने लगा कि हम चन्द्रमा पर तो पहुँच गये परन्तु इन बच्चौ की भूख की तरफ आज भी कोई नहीं सोच रहा है। ऐसा बिकास किस कामका जो भूखे का पेट नहीं भर सके।

      हमारी सरकारौ को सोचना चाहिए।  नेता केवल पाँच वर्ष में एक बार वोट माँगने आता है उसके बाद कुछ हो उसे कोई मतलब नहीं है।

 
 Dr Vasu Dev yadav

Dr Vasu Dev yadav

अच्छी है

3 फरवरी 2022

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