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जज़्बात

28 जुलाई 2022

18 बार देखा गया 18
जब से जज़्बात
को पढ़ा मैंने,
सब कुछ आँखों से
बहाया मैंने,
जब तक बना
नहीं समुंदर 
तब तक अपने
वजूद का दरिया
बहाया हमने
जैसा रुख था हवाओं का
वैसे ही मुड़े हम
ज़िंदगी तेरे हर एहसासो
में डूबे हम।

अजय निदान
9630819356
सर्वाधिकार सुरक्षित
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रचनाएँ
हकीकत एक जिंदगी की
5.0
इस किताब में सारी रचनाये मेरी स्वयं की हस्तलिखित और मौलिक हैं इसमें जिंदगी के सारे अनुभवो को दर्शाने की पूरी कोशिश की हैं, हर शब्दों में अपना दर्द और जिंदगी के नये -नये सोच के आयामो को पेश करने की कोशिश की हैं मैंने अब बाकी तो आप लोग ही पढ़कर सटीक विवेचना कर सकते हैं l
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मोम

23 जुलाई 2022
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वक़्त की शाख़ों सेफूल झरते ही रहे,हालातो के रंगमेरे लिए बदलते रहे,जब भी कोशिश की हमनें तोरास्ते मे अपने ही छलते रहेकिस-किस से गिला करेंअपने रंजो गम का ये दोस्तज़िंदगी ही मोम थीहर वक़्त बस पिघलते रहे।अजय न

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कटे हाथ

23 जुलाई 2022
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हर आँख पर पर्दा इस कदर पड़ गया हैंजो देखना थाज़मानें में आया वो भी हमारी अक़्ल से छुप गया हैंअब क्या उम्मीद और क्या प्यार यहाँसब कुछ दाँव पर लगा है यारवफ़ा की बात ही क्यासब बेवफाई का हुनर ज

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प्यार के लिए

23 जुलाई 2022
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जी रहा हूँ सिर्फ तेरे प्यार के लिएमैं कहा हूँकिसी के इंतज़ार के लिएवक़्त ने दिया ही नहींमुझे कोई मौक़ामैं तो रह गया बस इनकार के लिएजब भी चाहातुझ से कहनालब न खुले मेरेइज़हार के लिएपल से बनी सदिया

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आरक्षण

23 जुलाई 2022
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गुरु हीमेरा भविष्य हैंगुरु की हर कसौटी पे खरेउतरने के बादअंत मे गुरु ने गुरुदक्षिणा के रूप मेंमेरा भविष्य माँगाऔर नौजवानों कोवंचित कर दियाहर अवसर सेनाममात्र के लिएरह गये गुरुआरक्षण किसी औरको देकर

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आँसू

24 जुलाई 2022
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रोज़ गिरना तुमपानी की तरह मेरे ऊपररोज़ भीगता रहेगादामन मेरा समुन्दर की तरहआख़िर हो जायेंगेएक दिन हम पानीउस दिन गिरेंगेतेरी आँखों सेमेरे आँसूदास्ता बनकर ।अजय निदान9630819356सर्वाधिकार सुरक्षित

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आईना

24 जुलाई 2022
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आईना टूटा ही निकलातेरी चाहत काकिसे दिखाते अपनी सूरतक्योंकिदेखने वाले के पास भीचाहत को देखने कीनज़र चाहिये,कही वो भी हमें मोहराबनाकर सिर्फ इस्तेमाल नकर ले इस इरादे सेदिल के दरवाजे बंद हैंमगर अपने ज़मीर क

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मशाल

24 जुलाई 2022
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वक़्त के साथ जलते रहने की आदत है मुझेखुद को अंधेरे में रख कर दूसरों को रौशन करनेकी आदत हैं मुझेतुम क्या जलाओगे दिलमेरा ये हम सफरदिलो में मशाल बनकरजीने की आदत है मुझे।अजय निदानसर्वाधिकारसुरक्ष

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भरम

24 जुलाई 2022
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न जिस्म अपनाऔर न दौलत अपनीन रिश्ते अपनेऔर न प्यार अपनाकुछ भी पूरी तरह सेअपनेपन के एहसास से भरे नही हैं,ऐसा लगता हैंये हक़ीक़त का भरम हैं,न जीने की प्यास औरन मरने का हुनर फिर भी हम कहते हैंये

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प्यार के रास्ते

24 जुलाई 2022
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मेरे प्यार के रास्ते ऐसे ही हैंइसमे हर पल इतने उतार-चढ़ाव हैं,न जाने कितने इंतिहान हैंप्यार जैसे कोई मेहमान हैंजरूरत पे आता हैं जरूरत पे जाता हैंप्यार की मंज़िल का कहॉ पड़ाव हैंदिल को सुकून नहींबाकी कोई

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संपूर्णता

28 जुलाई 2022
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समा जाना चाहता हूँकिसी एक माध्यम सेमग़र कोई सार्थक आधार नहींक्योकि आधारों की शिला मेंदरारें हैंऔर संपूर्णता में समाने के लिएमूलतत्त्व पूर्ण चाहिएमुझे उस माध्यम औरआधारों की तलाश हैंजो बहुत ही कम इं

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अतीत

28 जुलाई 2022
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ख़ता कर अतीत कीबदनामी को पीछे छोड़ करनये वर्तमान की दहलीज कोलाँघ कर बढ़ गया,वो अपने भविष्य को सँवारने के लिए,मगर ऐसे बने इत्तेफाक मोहरे हो गये हालातऔरवो उन्हीं हालातोंका शिकार हैंजो आज की तारीख

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वज़ह

28 जुलाई 2022
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मैं कहाँ हूं किस वजह से हूंऔर किसके लिए कसूरवार हूँयहाँ किसी भी गलती के लिएमेरा वजूद जिम्मेदार नही हैंऐसा इसलिए क्योकि हालात तो पूर्व निर्मित हैंऔर मुक्कमल नहीं हैं,काबिलियत के लिएअब रिश्वत की हव

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दिल के लिए

28 जुलाई 2022
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एक लम्हें में मैं सिमटा हुआऔरएक लम्हें मेंतुम सिमटी हुईदोनो ही सदी के सफर में,प्रभावित होकरएक दूजे के लिएतबाह किये दिल के लिए,पनाह कही भी नहींप्यार के लिए,ये मुमकिन नही पलतेरे-मेर

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जज़्बात

28 जुलाई 2022
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जब से जज़्बातको पढ़ा मैंने,सब कुछ आँखों सेबहाया मैंने,जब तक बनानहीं समुंदर तब तक अपनेवजूद का दरियाबहाया हमनेजैसा रुख था हवाओं कावैसे ही मुड़े हमज़िंदगी तेरे हर एहसासोमें डूबे हम।अजय निदान9630819356सर

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हुनरमंद

28 जुलाई 2022
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किसी तर्क के कथन से निकलेहर शब्द की गूंजझकझोरती हैं मेरे जहन को,हर हर्फ़ हँसता हैं मेरे वजूद परन जाने क्यों जन्म कीबुनियाद में,गुलामी के रंजिशों के दागविरासत में मिलेहुनरमंद होकर भीहमें समाज मेहैस

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रूप

28 जुलाई 2022
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वो जरा अलग है औरो सेतुम उससे साधारण स्तर से मिलोगेतो तुम्हे वो पूरा नही मिलेगा लेकिन तुम अपने कलात्मकनज़रिये से मिले तो तुमसे मेरामुकम्मल अस्तित्व मिल पायेगाअब मिलने वाले को सोचना हैं किउसे एक ही

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न्याय

28 जुलाई 2022
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ये न्याय का मंदिर हैंयहाँ सभी अपनी पुकार लेकर आते हैंसभी इंसाफ की घन्टीजोर से बजाते हैंमगर ज़मीर कीआवाज़ जल्दी कोईसुनता नहीं हैं,सच की बाती जलती नहींऔर झूठ घी में तैरता हैंअपनी पुकार का मामलारफ़ा दफ

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धर्म की दीवार

28 जुलाई 2022
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रोज़ गिरता हूं किसी न किसी के हाथों से ,पानी की तरह मेरा रंग सबके लिए एक हैचाहे जिसके भी हाथों से गिरूंहिंदू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाईमैं तो पानी हूँ भाईतुमने ये धर्म की दीवार खड़ी कर दीमगर

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गलत नज़रिया

28 जुलाई 2022
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इंसानकभी गलत नही होताउसका वक्त गलत होता है,मगर लोग इंसान को गलत कहते हैंजैसेपतंग कभी नही कटती,कटता तो सिर्फ “धागा” ही हैफिर भी लोग कहते हैं “पतंग” कटी,ऐसे समाज के नज़रिये में जिंदगीकब तक क़ाबिलियत को उप

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मोहरा

28 जुलाई 2022
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आईना टूटा ही निकलातेरी चाहत काकिसे दिखाते अपनी सूरतक्योंकिदेखने वाले के पास भीचाहत को देखने कीनज़र चाहिये,कही वो भी हमें मोहराबनाकर सिर्फ इस्तेमाल नकर ले इस इरादे सेदिल के दरवाजे बंद हैंमगर अपने ज़मीर क

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