shabd-logo

बड़े खुश हैं हम

11 जून 2016

209 बार देखा गया 209

बड़े खुश हैं हम

बादल गुजर गया लेकिन बरसा नहीं।

सूखी नदी हुआ अभी अरसा नहीं।

धरती झुलस रही है लेकिन बड़े खुश हैं हम।

नदी बिक रही है बा रास्ते सियासत के।

गूंगे बहरों के  शहर में बड़े खुश हैं हम।

न गोरैया न दादर न तीतर बोलता है अब।

काट कर परिंदों के पर बड़े खुश हैं हम।

नदी की धार सूख गई सूखे शहर के कुँए।

तालाब शहर के सुखा कर बड़े खुश हैं हम।

पेड़ों का दर्द सुनना हमने नहीं सीखा।

काट कर जिस्म पेड़ों के बड़े खुश हैं हम।

ईमान पर अपने कब तलक कायम रहोगे तुम।

बेंच कर ईमान अपना आज बड़े खुश हैं हम।

सुशील कुमार शर्मा की अन्य किताबें

15
रचनाएँ
sahityanagri
0.0
नये साहित्यकारों के लिए एक मंच
1

मध्यप्रदेश का अध्यापक -सपने संघर्ष और असफलताएं

3 जून 2016
0
3
0

मध्यप्रदेश का अध्यापक -सपने संघर्ष और असफलताएं सुशील शर्मा अध्यापकों का दर्द यह है कि पिछले 18 साल से वे अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के गर्भ से निकले नेता अपनी रोटी सेंक कर गायब हो जाते हैं। लेकिन मांगे जस की तस हैं।अध्यापक अब अपने आप को एक असफल इन्सान के रूप में देखने लगा है। ज

2

क्या मैं लिख सकूँगा ?

5 जून 2016
0
0
0

क्या मै लिख सकूँगा सुशील कुमार शर्मा                 ( वरिष्ठ अध्यापक)            गाडरवाराकल एक पेड़ से मुलाकात हो गई। चलते चलते आँखों में कुछ बात हो गई। बोला पेड़ लिखते हो संवेदनाओं को। उकेरते हो रंग भरी भावनाओं को। क्या मेरी सूनी संवेदनाओं को छू सकोगे ?क्या मेरी कोरी भावनाओं को जी सकोगे ?मैंने कहा क

3

अनुत्तरित प्रश्न

5 जून 2016
0
1
0

अनुत्तरित प्रश्न एक जंगल था ,बहुत प्यारा था सभी की आँख का तारा था। वक्त की आंधी आई, सभ्यता चमचमाती आई। इस सभ्यता के हाथ में आरी थी। जो काटती गई जंगलों को बनते गए ,आलीशान मकान ,चौखटें ,दरवाजे ,दहेज़ के फर्नीचर। मिटते गए जंगल  सिसकते रहे पेड़ और हम सब देते रहे भाषण बन कर मुख्य अतिथि वनमहोत्सव में। हर आर

4

पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना

6 जून 2016
0
1
0

पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना सुशील शर्मा मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है।अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश यही किसी न किसी रूप में जीवन का निर्माण करते हैं, उसे पोषण देते हैं। इन सभी तत्वों का सम्मिलित , स्वरूप ही पर्यावरण है। पर्यावरण संरक्षण पाँच स्तरों पर सम्भव होगा-1- मान

5

रोटी कमाने के लिया भटकता बचपन

7 जून 2016
0
9
4

रोटी कमाने के लिया भटकता बचपन सुशील कुमार शर्मा                 ( वरिष्ठ अध्यापक)            गाडरवाराभारत में जनगणनाओं के आधार पर विभिन्न  बाल श्रमिकों के आंकड़े निम्नानुसार हैं। 1971 -1. 07 करोड़1981 -1. 36 करोड़ 1991 -1. 12 करोड़ 2001-1. 26 करोड़ 2011 -1. 01 करोड़ यह आंकड़े सरकारी सर्वे के आंकड़े है अन्य

6

दहकता बुंदेलखंड

9 जून 2016
0
0
0

. दहकता बुंदेलखंड जीवन की बूंदों को तरसा भारत का एक खण्ड। सूरज जैसा दहक रहा हैं हमारा बुंदेलखंड। गाँव गली सुनसान है पनघट भी वीरान। टूटी पड़ी है नाव भी कुदरत खुद हैरान। वृक्ष नहीं हैं दूर तक सूखे पड़े हैं खेत। कुआँ सूख गढ्ढा बने पम्प उगलते रेत। कभी लहलहाते खेत थे आज लगे श्मशान। बिन पानी सूखे पड़े नदी नह

7

हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को

10 जून 2016
0
5
0

हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को सुशील शर्मा हे परीक्षा परिणाम मत सताओ बच्चों को, प्यारे बच्चों के मासूम दिलों से खेलना बंद करो। न जाने कितने मासूम दिलों से तुम खेलते हो ,न जाने कितने बच्चों के भविष्य को रौंद चुके हो तुम। न जाने कितने माँ बाप को खून के आंसू रुला चुके हो तुम। तुम्हे किसने यह अधिक

8

पानी बचाना चाहिए

11 जून 2016
0
1
0

पानी  बचाना चाहिए फेंका बहुत पानी अब उसको बचाना चाहिए। सूखे जर्द पौधों को अब जवानी चाहिए। वर्षा जल के संग्रहण का अब कोई उपाय करो। प्यासी सुर्ख धरती को अब रवानी चाहिए। लगाओ पेड़ पौधे अब हज़ारों की संख्या में। बादलों को अब मचल कर बरसना चाहिए। समय का बोझ ढोती शहर की सिसकती नदी है। इस बरस अब बाढ़ में इसको

9

बड़े खुश हैं हम

11 जून 2016
0
3
0

बड़े खुश हैं हम बादल गुजर गया लेकिन बरसा नहीं। सूखी नदी हुआ अभी अरसा नहीं। धरती झुलस रही है लेकिन बड़े खुश हैं हम। नदी बिक रही है बा रास्ते सियासत के। गूंगे बहरों के  शहर में बड़े खुश हैं हम। न गोरैया न दादर न तीतर बोलता है अब। काट कर परिंदों के पर बड़े खुश हैं हम। नदी की धार सूख गई सूखे शहर के कुँए। ता

10

12वीं के बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव

11 जून 2016
0
3
1

12वीं के  बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव सुशील कुमार शर्मा 12 वीं के बाद अजीत को समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस विषय का चुनाव करे जो भविष्य में उसके लिए सफलता के दरवाजे खोले। परिवार के आधे लोग चाहते हैं की वह इंजीनियर बने आधे चाहते हैं की वह सिविल सर्विसेज में जाए दोस्त उसे बिजिनेस कोर्स

11

नारी तुम मुक्त हो।

12 जून 2016
0
2
1

नारी तुम मुक्त हो।नारी तुम मुक्त हो। बिखरा हुआ अस्तित्व हो। सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो। सर्वथा अव्यक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।शब्द कोषों से छलित देवी होकर भी दलित। शेष से संयुक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।ईश्वर का संकल्प हो।प्रेम का तुम विकल्प हो। त्याग से संतृप्त हो। नारी तुम मुक्त हो

12

किसान चिंतित है

13 जून 2016
0
2
3

किसान चिंतित हैसुशील शर्माकिसान चिंतित है फसल की प्यास से ।किसान चिंतित है टूटते दरकते विश्वास से।किसान चिंतित है पसीने से तर बतर शरीरों से।किसान चिंतित है जहर बुझी तकरीरों से।किसान चिंतित है खाट पर कराहती माँ की खांसी से ।किसान चिंतित है पेड़ पर लटकती अपनी फांसी से।किसान चिंतित है मंडी में लूटते लुट

13

खेतों के ज़रिये शरीर में उतरता ज़हर

15 जून 2016
0
1
0

खेती में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से कहीं, 07 वर्ष की लड़कियों में माहवारी शुरू हो रही है, तो कहीं मनुष्यों के सेक्स में ही परिवर्तन हुआ जा रहा है। विश्व बैंक के अनुसार दुनिया में 25 लाख लोग प्रतिवर्ष कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के शिकार होते हैं, जिसमें से 05 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। फ

14

उस पार का जीवन

16 जून 2016
0
3
0

उस पार का जीवन सुशील कुमार शर्मा मृत्यु के उस पार क्या है एक और जीवन आधार। या घटाटोप अन्धकार। तीव्र आत्म प्रकाश। या क्षुब्द अमित प्यास। शरीर से निकलती चेतना। या मौत सी मर्मान्तक वेदना। एक पल है मिलन का। या सदियों की विरह यातना। भाव के भवंर में डूबता होगा मन। या स्थिर शांत कर्मणा। दौड़ता धूपता जीवन हो

15

आज से मंदिरों में गूंजेगा..या देवी सर्वभूतेषु...और बजेंगे घंट-घड़ियाल

20 सितम्बर 2017
0
0
1

देवी आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र गुरुवार से आंरभ हो रहा है। इसी के साथ मां भगवती के आगमन के साथ मंदिरों और घरों में कलश स्थापना और पूजा -अर्चना शुरू हो जाएगी। मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए जिलेभर के सभी मंदिर सजाए जा चुके हैं।  नवरात्र के पहले दिन से ही देवी मंदिरों में श्रद्धालु

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए