हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को
सुशील शर्मा
हे परीक्षा परिणाम
मत सताओ बच्चों को, प्यारे बच्चों के मासूम दिलों से खेलना बंद करो।
न जाने कितने मासूम दिलों से तुम खेलते हो ,न जाने कितने बच्चों के भविष्य को रौंद चुके हो तुम।
न जाने कितने माँ बाप को खून के आंसू रुला चुके हो तुम।
तुम्हे किसने यह अधिकार दिया कि तुम एक कागज पर लिखे अंको के आधार पर।
किसी की प्रतिभा का आंकलन करो ,तुम कौन होते हो यह निर्णय देने वाले की मार्कशीट के अंक बच्चे की प्रतिभा का प्रतिबिम्ब हैं। क्या बिलगेट्स ,सचिन ,गांधी की प्रतिभा तुम्हारे अंको की मोहताज रही है ?
क्या नरेंद्र मोदी को तुमने प्रधानमंत्री लायक बनाया ?
क्या कलाम तुम्हारे अंको के आधार पर कामयाबी के शिखर तक पहुंचे ?
क्या न्यूटन ओर आइंस्टीन को तुमने वैज्ञानिक बनाया ?
नहीं ये सभी प्रतिभाएं तुम्हारी अंको की लंगड़ी गाड़ी में चढ़ी।
ये सभी कड़ी मेहनत एवं लगन से शिखरों तक पहुंची हैं।
क्या तुम उस मासूम के करीब से गुजरे हो जिसके अंक तुमने सिर्फ इसलिए काटे हैं।
कि उसने रट कर तुम्हारा उत्तर नहीं दिया?
क्या तुमने उन माँ बाप के चहरों की उदासी देखी है जिनके बच्चे
तुम्हारी दी हुई लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सके ?
हे परीक्षा परिणाम
हो सके तो उन सही बच्चों के टूटे हुए दिलों में झांकना
जो कक्षा में प्रथम स्थानों पर नहीं आ सके।
हो सके तो उन सभी माँ बाप के बिखरते सपनों को
महसूस करना जिनके बच्चे IIT ,IIM एवं मेडिकल में नहीं जा सके।
क्या ये सब प्रतिभा हीन हैं ?क्या इनका कोई भविष्य नहीं है ?
तुमने तो एक कागज के टुकड़े पर अंक लिख कर
इनको प्रतिभा हीन प्रमाणित कर दिया।
तुमने इनकी कापियों को लाल ,हरा ,काला कर
इनके भविष्य पर अंको का ताला लगा दिया।
हे परीक्षा परिणाम तुम देखना
यही बच्चे तुम्हे झूठा साबित करेंगें।
ये तुम्हारे अंकों के कागज को रद्दी की टोकरी में फेंक कर।
बनेगें बिलगेट्स ,गांधी ,सचिन ,नरेंद्र मोदी और अब्दुल कलाम।
यही बच्चे बनेगें इंदिरा ,कल्पना ,सानिया और सायना।
यही बच्चे साबित करेंगे की तुम्हारा आंकलन सिर्फ कागज पर लिखे
कुछ अंको के आलावा कुछ नहीं है।
इसलिए हे परीक्षा परिणाम सुधर जाओ और मत डराओ इन मासूम बच्चों को।