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अनुत्तरित प्रश्न

5 जून 2016

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अनुत्तरित प्रश्न

एक जंगल था ,

बहुत प्यारा था

सभी की आँख का तारा था।

वक्त की आंधी आई,

सभ्यता चमचमाती आई।

इस सभ्यता के हाथ में आरी थी।

जो काटती गई जंगलों को

बनते गए ,आलीशान मकान ,

चौखटें ,दरवाजे ,दहेज़ के फर्नीचर।

मिटते गए जंगल  सिसकते रहे पेड़

और हम सब देते रहे भाषण

बन कर मुख्य अतिथि वनमहोत्सव में।

हर आरी बन गई चौकीदार।

जंगल के जागरूक कातिल

बन कर उसके मसीहा  नोचते रहे गोस्त उसका।

मनाते रहे जंगल में मंगल।

औद्योगिक दावानल में जलते

आसपास के जंगल चीखते हैं।

और हमारे बौने व्यक्तित्व अनसुना कर चीख को ,

मनाते हैं पर्यावरण दिवस।

सिसकती शक्कर नदी के सुलगते सवाल  

मौन कर देते हैं हमारे व्यक्तित्व को।

पिछले साल कितने पौधे मरे ?

कितने पेड़ कट कर आलीशान महलों में सज गए ?

हमारी नदी क्यों मर रही है ?

गोरैया क्यों नहीं चहकती मेरे आँगन में ?

इन सब अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर खोज रहा हूँ ,

और लिख रहा हूँ एक श्रद्दांजलि कविता

अपने पर्यावरण के मरने पर।

सुशील कुमार शर्मा

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रचनाएँ
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नये साहित्यकारों के लिए एक मंच
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क्या मैं लिख सकूँगा ?

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अनुत्तरित प्रश्न

5 जून 2016
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अनुत्तरित प्रश्न एक जंगल था ,बहुत प्यारा था सभी की आँख का तारा था। वक्त की आंधी आई, सभ्यता चमचमाती आई। इस सभ्यता के हाथ में आरी थी। जो काटती गई जंगलों को बनते गए ,आलीशान मकान ,चौखटें ,दरवाजे ,दहेज़ के फर्नीचर। मिटते गए जंगल  सिसकते रहे पेड़ और हम सब देते रहे भाषण बन कर मुख्य अतिथि वनमहोत्सव में। हर आर

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पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना

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हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को सुशील शर्मा हे परीक्षा परिणाम मत सताओ बच्चों को, प्यारे बच्चों के मासूम दिलों से खेलना बंद करो। न जाने कितने मासूम दिलों से तुम खेलते हो ,न जाने कितने बच्चों के भविष्य को रौंद चुके हो तुम। न जाने कितने माँ बाप को खून के आंसू रुला चुके हो तुम। तुम्हे किसने यह अधिक

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बड़े खुश हैं हम बादल गुजर गया लेकिन बरसा नहीं। सूखी नदी हुआ अभी अरसा नहीं। धरती झुलस रही है लेकिन बड़े खुश हैं हम। नदी बिक रही है बा रास्ते सियासत के। गूंगे बहरों के  शहर में बड़े खुश हैं हम। न गोरैया न दादर न तीतर बोलता है अब। काट कर परिंदों के पर बड़े खुश हैं हम। नदी की धार सूख गई सूखे शहर के कुँए। ता

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12वीं के बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव

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12वीं के  बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव सुशील कुमार शर्मा 12 वीं के बाद अजीत को समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस विषय का चुनाव करे जो भविष्य में उसके लिए सफलता के दरवाजे खोले। परिवार के आधे लोग चाहते हैं की वह इंजीनियर बने आधे चाहते हैं की वह सिविल सर्विसेज में जाए दोस्त उसे बिजिनेस कोर्स

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नारी तुम मुक्त हो।

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नारी तुम मुक्त हो।नारी तुम मुक्त हो। बिखरा हुआ अस्तित्व हो। सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो। सर्वथा अव्यक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।शब्द कोषों से छलित देवी होकर भी दलित। शेष से संयुक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।ईश्वर का संकल्प हो।प्रेम का तुम विकल्प हो। त्याग से संतृप्त हो। नारी तुम मुक्त हो

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किसान चिंतित हैसुशील शर्माकिसान चिंतित है फसल की प्यास से ।किसान चिंतित है टूटते दरकते विश्वास से।किसान चिंतित है पसीने से तर बतर शरीरों से।किसान चिंतित है जहर बुझी तकरीरों से।किसान चिंतित है खाट पर कराहती माँ की खांसी से ।किसान चिंतित है पेड़ पर लटकती अपनी फांसी से।किसान चिंतित है मंडी में लूटते लुट

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खेतों के ज़रिये शरीर में उतरता ज़हर

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खेती में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से कहीं, 07 वर्ष की लड़कियों में माहवारी शुरू हो रही है, तो कहीं मनुष्यों के सेक्स में ही परिवर्तन हुआ जा रहा है। विश्व बैंक के अनुसार दुनिया में 25 लाख लोग प्रतिवर्ष कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के शिकार होते हैं, जिसमें से 05 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। फ

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उस पार का जीवन

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उस पार का जीवन सुशील कुमार शर्मा मृत्यु के उस पार क्या है एक और जीवन आधार। या घटाटोप अन्धकार। तीव्र आत्म प्रकाश। या क्षुब्द अमित प्यास। शरीर से निकलती चेतना। या मौत सी मर्मान्तक वेदना। एक पल है मिलन का। या सदियों की विरह यातना। भाव के भवंर में डूबता होगा मन। या स्थिर शांत कर्मणा। दौड़ता धूपता जीवन हो

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आज से मंदिरों में गूंजेगा..या देवी सर्वभूतेषु...और बजेंगे घंट-घड़ियाल

20 सितम्बर 2017
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देवी आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र गुरुवार से आंरभ हो रहा है। इसी के साथ मां भगवती के आगमन के साथ मंदिरों और घरों में कलश स्थापना और पूजा -अर्चना शुरू हो जाएगी। मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए जिलेभर के सभी मंदिर सजाए जा चुके हैं।  नवरात्र के पहले दिन से ही देवी मंदिरों में श्रद्धालु

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