ये केसा दौर आ गया इंसान खुद ही खुद को मार रहा है ।
बेटे की अती चाहत में बेटी को तु क्यों मार रहा है ।।
अपने मान समान के कारण ग़लत क़दम तु क्यों उठा रहा है ।
बेटे की अती चाहत में बेटी को तु क्यो मार रहा है ।।
बेटीयॉं घर की लक्ष्मी है पगले बेटीयॉं घर की शान है ।
बेटियों की ही बदौलत से तो यह सारा संसार है ।।
जिस घर में बेटी का मान नही वह घर कोई घर है भला ।
बेटे की चाहत में बेटी का तु क्यों घोट रहा है गला ।।
जिस परिवार में बेटीयो का मान नही वह कोई परिवार है भला ।
नज़र दौड़ा कर देख ले कितनी दुर वह परिवार है चला ।।
जिस दिन घर तु बहु लायेगा वह भी किसी की बेटी है ।
अब तु केसे स्वीकार करेगा बहु ही तो तेरी बेटी ही है ।।
थोड़े से दहेज के कारण बेटीयो को जलाते हो ।
इतना ही धन प्यारा है तो खुद क्यों नही कमाते हो ।।
अरे बेटीयॉं घर की लक्ष्मी है थोड़ी सी तो चर्म करो ।
बेटीयो को बोझ समझने वालों चलु भर पानी में डुब मरो ।।
Chandan Jat
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