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भाषा

22 अगस्त 2018

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सादर नमस्कार , न जाने क्योंमेरे ह्रदय में यह सोचकर पीड़ा होती है कि कि आज कल क्यों हम भारतीय अपनी मात्र भाषा को भूलते जा रहे हैं| क्यों हम केवल और केवल अंग्रेजी पर ध्यान दे रहे हैं हम यह क्यों नही जान पा रहे हैं कि हिनदी हिनदी को भुलाकर या भारतीय किसी भाषा को भुलाकर हम आगे नहीं बढ़ सकते जिस द्न हम यह समझ जायेंगे कि हम अपनी मात्र और राज्य भाषा को भुलाकर महान नहीं हो सकते हैं| इस तो हम अपने आप को विदेश भेजना चाहते हैं क्यों क्यों हम यह प्रयाश नहीं कर रहे कि विदेश देश में आए और यहॉ आने से पहले हमारी मात्र भाषा को सीखे तो फिर हम नहीं वो यहॉ काम करेंगे| इस को लिए हमें अपने देश को सम्रद्ध बनाना है ऐसा तभी सम्भव है जब प्रत्येक पुस्तक को अपनी भाषा में लिखा पढ़ा पढ़ा समझा जाए उन्हें प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से जोड़ा जाये| हम ऐसा कुछ करें कि हर एक देश भारतीय और भारतीयता को सीखना चाहे| यह तो ठीक है कि हम बहुत सारी भाषाओं को सीखना चाहते हैं इसलिए नहीं ति हम उनके यहॉ जाकर उनकी चाटुकारता तरें बल्कि इसलिए कि हम उन्हें भाषा भाषा संस्कृति और सभ्यता उन्हें सिखा सकें| हम अपने बच्चों को अंग्रेजी अंग्रेजी अन्य भाषाऐं सिखाऐं परन्तु हिन्दी को भुलाकर नहीं हमें अपनी राष्ट्र और राज्य भाषा को सुरक्षित रखना है| हॉ और यह बात गॉठ बॉध लो जिस दिन हम अपनी भाषाओं में पुस्तक पढ़ने लगेंगे हम विश्व में सबसे अलग और अच्छी छाप छोड़ देंगें जिससे ये पूरा विश्व हिन्दी हिन्दी भारतीय सीखेगा और इस भारत के सामने नतमस्तक होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| होगा| धन्यवाद विचार अवश्य कीजियेगा|

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उदय पूना

उदय पूना

आपका देश प्रेम और भाषा प्रेम दिख रहा है, साधुवाद कृपया मेरा वेबपेज निराला मंच देखें, vo भी जुड़ा है निज भाषा से, प्रणाम

5 दिसम्बर 2018

रेणु

रेणु

बहुत ही सही बात लिखी आपने ऋषभ जी

24 अगस्त 2018

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