कहते हैं पैसे के पीछे नही भागना चाहिए ,लेकिन देखो तो जो अभी कह रहे थे उनका क्या हाल है . आपको
पता लगेगा कि वो रेस मे सबसे आगे हैं . कहते हैं न कि परउपदेश कुशल बहुतेरे . लेकिन पैसा जीवन की
सच्चाई भी है . बिन पैसे का आदमी ज़िंदा लाश होता हैं . सैकड़ों ऐसे हैं जो पात्रता रखते हुए भी पैसा नहीं
कमा पाते . अनगिनत ऐसे मिल जायेंगे जो काम लेने के बाद भी पैसे नहीं देते . मैं एक ऐसे अध्यापक को जानता
हूं , जिनके स्कूल मेँ बेतन कर्मचारी के बैंक खाते में आता है लेकिन परदे के पीछे क्या होता है , प्रवंधन
तीन महीने के अंतराल पर तीन महीने का बेतन उनके खाते में ट्रांसफर करता तो है लेकिन उससे पहले
वो कर्मचारी से दो माह के बेतन का चेक ले लेते हैं ,इस प्रकार उनको तीन माह में एक माह का बेतन मिलता है
अर्थात वो तिहाई बेतन पर काम कर रहे हैं . क्यों ? बेरोज़गारी इतनी है कि जल्दी काम नहीं मिलता ,सम्बंधित
विभागों से शिकायत इसलिए नहीं कर सकते कि सेवायोजक एक कुख्यात राजनीतिक नेता है
एक बार की बात है मुझे एक कम दूरी की यात्रा पर जाना था जहाँ का किराया मात्र 24 रुपय था . मैंने सौ रुपये का
नोट जेब में रखा और चल दिया.
बस में कंडक्टर को 100 का नोट दिया तो उसने टिकट के पीछे 76 बाकी लिख दिया ,कहते हैं न विनाश काले विपरीत बुद्धि , सो गंतव्य पर पहंचने पर कंडक्टर ने अपने आप बाकी नहीं लौटाया और में और यात्रियों के साथ नीचे उतर गया ,
थोड़ी दूर जाकर मुझे रिक्शा लेना था तब होश आया कि मेरी जेब खाली है . आगे का रास्ता पैदल तय किया .
वापसी पर मेरी जेब मेँ एक पांच का सिक्का पड़ा था और मेरी डायरी मेँ चार गुलाब के स्पेशल डाक टिकट थे जिनसे गुलाब की खुशबू आती थी इनका कुल मूल्य 20 था ,मै ने बड़े जतन से इनको संभाला था ,भारी मन से मैंने इनको बेचने का मन बनाया , कालचक्र कुछ ऐसा था कि आधे रास्ते तक कोई दुकानदार उन्हें लेने को तैयार नहीं हुआ ,
शायद डाक टिकट उनको नकली लग रहे थे ...... चलते चलते मैं पंतनगर पहुँच गया यहाँ से मेरे गंतव्य तक 14 रुपये लगता था , यहाँ ऊपर वाले ने मेरा मददगार बिठा रखा था, एक दो दुकानों के बाद एक दुकानदार अकेला बैठा था मैंने उससे कहा मेरे पास पैसे नहीं हैं , आप मेरे ये टिकट लेलो और मुझे 20 रुपए देदो मैं बाद में पैसे देकर डाक टिकट ले जाऊंगा साथ ही मैंने उनको बस का बाकी वाला टिकट दिखा दिया उस सहृदय व्यक्ति ने 20 रुपये का नोट मेरी ओर बढ़ाया और बोला नहीं टिकट आप रख लो ,मैंने ऊपर वाले का लाख लाख धन्यवाद किया और डाक टिकट उनको दे आया जो में बाद ने उनसे ले आया