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दया का सुख , दया का दुःख

31 जुलाई 2022

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नगर के बस स्टेशन पर एक अधेड़  उम्र  महिला बदहबास  घबराई हुई सामने आ  गयी  ,रुंधे गले से बोली दद्दा  ,मै  बस के इंतज़ार में खड़ी थी अचानक एक आदमी भागता हुआ आया  और  मेरा बैग छीन कर भाग गया .मेरे पैसे कपडे सब  ले गया अब मेरे पास घर जाने के लिए भी पैसे नहीं हैं . ऐसी स्तिथि मेँ किसी को भी दया आ जाती  . मैं  ने पूछा तुम्हारे यहाँ का किराया कितना होगा ,उसने बताया  65 रुपये  ,मैंने सौ का नोट उसकी तरफ बढ़ाया और उससे कहा शेष राशि से नाश्ता कर लेना . महिला दुआएं देती आगे बढ़ गयी ,और मैं मन ही मन एकअच्छा काम कर पाने   के सुख का अनुभव करता रहा.

संयोग से अपरान्ह तीन बजे , बस स्टैंड के पास स्थित भारतीय स्टेट बैंक जाना हुआ तो देखा ,वही महिला जमा खिड़की  पर

1800 रुपये जमा  करा रही थी .................और मैं  अपने आप को ठगा जाने के दुःख का  अनुभव करता रहा  .

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6 अगस्त 2022
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