इस किताब में सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं को दर्शाया गया है।मानव विकास तो कर रहा है,मगर रिश्तों की अहमियत को भूल रहा है।
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आज बूढ़ी अम्मा उदास है।अकेली है। कहने को तो चार बेटे है, मगर केवल नाम के है। कमरे के एक कोने में बूढ़ी अम्मा बैठी रहती है। जो मिलता वह खा लेती।जो मिलता पहन लेती, मगर कभी किसी भी बेटे से शिकायत नहीं कर