shabd-logo

common.aboutWriter

स्वतन्त्र लेखिका, समाजसेविका एवं कवियत्री |

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

common.kelekh

महिलाओं पर हो रहे तेजाब हमलों को समर्पित मेरी लिखी गयी एक कविता |

7 दिसम्बर 2015
3
2

  एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा |आज भी मिट ना ...पाया है ।। लाख कोशिशें करीं भले, वजूद मेरा मिटाने की। क्या में एक लड़की थी, जो सिर्फ जिस्म के लिए बनी।। जिस्म भले छीन जाये मेरा,तेरी जोर जबरदस्ती से । रूह ले ना पायेगा,तू अपनी बदक़िस्मती से ।। एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा । आज भी मिट ना पाया है ।। जो समझे

क्यों हमारे मीडिया में कुछ ऐसा चलन है की " एक हिन्दू की मौत को घर का मसला और एक मुस्लिम की मौत को मानवता पर हमला" का नाम दिया जाता है ?

7 दिसम्बर 2015
1
9

मेरी कविता

7 दिसम्बर 2015
2
0

                    आज खुद का ही खुद से मैं एक पंगा रचने जाउंगी,... इन ख़बरों के ठेकेदारों की सारी सच्चाई बतलाऊँगी,मीडिया जिसको लोगों का चौकीदार बनना था,ख़बरों की सच्चाई मे मासूमों की अच्छाई होना था,आज वही दिखता है मुझको करप्टों की पोशाकों में,बिकने को ही आमादा है दिन रात हर पहरों में,गले मिले सलमान स

---

किताब पढ़िए