एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा |
आज भी मिट ना ...पाया है ।।
लाख कोशिशें करीं भले, वजूद मेरा मिटाने
की।
क्या में एक लड़की थी, जो सिर्फ जिस्म
के लिए बनी।। जिस्म भले छीन जाये मेरा,
तेरी जोर जबरदस्ती से । रूह ले ना पायेगा,
तू अपनी बदक़िस्मती से ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा ।
आज भी मिट ना पाया है ।।
जो समझे थे लाचार मुझे, चेहरा ना मेरी
कमजोरी था । छीन जाये भले
ही रूप मेरा, आत्मसम्मान मेरा जरुरी था ।।
जो एक चेहरा मैंने खो दिया, बदले में सौ रूप नए मिले। एक चेहरे के
बदले में, वापस खोये सारे जज्बात मिले ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा ।
आज भी मिट ना पाया है ।।
वर्ष हुए वो चेहरा खोये, देख कितने और सूंदर रूप मिले । एक
चेहरे के बदले में, लाख नईं उम्मीद जगीं
।। वो तो एक तन की सुंदरता खोयी । मन
में कितने और सुन्दर सपने बसें ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा ।
आज भी मिट ना पाया है।।
आज में सबसे ऊपर, सबसे सूंदर औरत हूं । एक चेहरे के बिना
ही, आत्मनिर्भर और सम्मानित औरत हूँ ।
सारी कोशिशें तेरी बेकार हुईं, देख में फिर
आज़ाद हुई । एक सफल और स्वाभिमानी, देख मै
कितनी विराट हुई ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा |
आज भी मिट ना पाया है।।
घाव मेरे बस तन पर थे, मन को कभी ना मार सका ।
दर्द भले ताजा हैं अब तक, पर मन ढेर उमंगों से भरा ।। आज जो
में सक्षम बन पायी हूँ । तेरे दिए वो घाव
ही, देख मेरी बने दुआ ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा ।
आज भी मिट ना पाया है।।
वो पूरानी था पहचान, आज बदले में सौ रूप नए मेरे । तू
क्या मिटा पाया वज़ूद मेरा, जब भीतर रंग हजार मेरे ।।
एक सुन्दर सा वो मासूम चेहरा ।
आज भी मिट ना पाया है।।