🌼सादर प्रणाम 🌼🙏
आशा करते हैं कि आप सभी सकुशल होंगे।
जिंदगी का हर दिन जीवन की नई बातें लेकर आता हैं और हर शाम कुछ लम्हें अनुभव के दे जाती हैं। शायद इसी सिलसिले का नाम हैं ज़िन्दगी, ना मिली मंजिल का मुकाम हैं ज़िन्दगी।
आज सुबह-सुबह जल्दी उठने के बाद, जैसे ही हम छत पर गए तो तभी सूर्य ने उदय होना शुरू ही किया था, कि उसका दीदार करने हम वहां पहुंच गए। सूर्योदय के समय ऐसा लग रहा था कि कोई प्रकाश पुंज अपने भव्य रूप में अपनी पूरी ऊर्जा के साथ आ रहा हों। सुबह सुबह की धुप लेना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता हैं, इसलिए हमारे लिए सूर्य की रोशनी बहुत जरूरी होती हैं। सुबह-सुबह का नजारा देखना हमें बहुत अच्छा लगता हैं और हम जल्दी भी तो इसी नजारे को देखने के लिए उठते हैं। फिर नीचे आकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत्त होकर हम पूजा करते हैं और भगवान से सभी के लिए खुशहाली की कामना करते हैं। कभी कभी तो ऐसा लगता हैं कि वह खुद साक्षात बैठे हुए हैं और सब सुन रहे हैं और फिर कह रहे हैं कि तू चिंता क्यों करती हैं, जब मैं तेरे साथ हूं।
सुबह-सुबह अगर पूजा ना करें तो, ऐसा लगता हैं जैसे कि आज दिन की शुरुआत ही नहीं हुई। सुबह सुबह अगर प्रभु का ध्यान ना करें, तो मन में एक अजीब सी बेचैनी रहती हैं। इसलिए इस मन का मनन करना आवश्यक हैं। उसके बाद सबके साथ चाय नाश्ता किया और कुछ काम के सिलसिले में पापा के साथ बाहर चलें गए। फिर वापिस घर आकर थोड़ा बहुत घर का काम देख किया। जो भी काम पूरा नहीं था, उसको हमने पूरा कर दिया।
फिर भोजन के पश्चात प्रेम क्षणिकाएं में लिखने के लिए सोचने लगे, कि आज क्या लिखें कान्हा के प्रेम में। क्योंकि जिनका ये प्रेम हैं, लिखना के लिए सुन्दर विचार भी तो वहीं देते हैं। फिर मन मैं जो भी पंक्तिबद्ध विचार आया, हमने वही उस में लिख दिया। उन पंक्तियों को आप सभी की सुंदर समीक्षाएं भी मिलीं।
फिर दोपहर बाद सभी के लिए चाय बनाई। सभी के साथ चाय पी। थोड़ी फैमिली गपशप भी हुई। शाम में थोड़ी देर छत पर टहलने के लिए चले गए। क्योंकि ये कुछ क्षण का अकेलापन हमारे काव्य लेखन के लिए हमें बहुत सुंदर शब्द जाता हैं। इसलिए ये शाम का समय सिर्फ हमारा हैं। चलते चलते मेरी नजर सूर्य की ओर गई, तो देखा कि सूरज भी अब डूबने के लिए आतुर हैं। आसमानों में शाम की अजान की गूंज सुनाई दे रही हैं और इसका अर्थ हैं कि संध्याकाल की पूजा का भी वक्त हो चुका हैं।
फिर हमने शाम की पूजा की। शाम की पूजा करके हम जब भी तुलसी जी के पास जाते हैं, तो ऐसा लगता हैं कि वह हमारी सखी हैं और वह हमारी सारी बातें सुन रही हो और समय-समय पर अपनी प्रतिक्रिया भी देती रहती हैं। सुबह से लेकर शाम तक दिन केसे खत्म हो जाता हैं कि कुछ पता ही नहीं चलता।कब सुबह हुई और कब शाम, बस यहीं हैं जीवन का नाम।
हां, बस पूरे दिन हमारा प्रयास यही रहता हैं कि सबके चेहरे पर मुस्कान लेकर आएं। आज किसी की खुशी की वजह बनना बहुत बड़ी बात हैं, क्योंकि दुख की वजह तो आज हर कोई हैं, लेकिन खुशी की कोई वजह नहीं। इसलिए अपनी जिंदगी में किसी की खुशी की वजह जरूर बने, कि कोई आपकी वजह से खुश हो, आपकी वजह से मुस्कुराए और सच मानिए उसकी मुस्कुराहट देखकर आपके मन को बड़ा ही आनंद मिलेगा।
चलिए चलते हैं, आज के लिए बस इतना ही। कल आएगे फिर से आप से ढेर सारी बातें करने।
✍️राधिका..🙏
🌻वासुदेवाय नमः🌻