9 जनवरी 2023
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🌸"श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ, नारायण वासुदेवा"🌸🙏🙏 हमारा नाम दिव्यांशी त्रिगुणा हैं। हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर अमरोहा में रहते हैं। हम एक ग्रेजुएट छात्रा हैं, जिसने इसी वर्ष कला वर्ग से अपना ग्रेजुएशन पूर्ण किया हैं। हमारी बाल्यकाल से हीं विशेष रूचि हिन्दी कविता लेखन में रही हैं और हमारी अधिकतर कविताओं का विषय हैं, हमारे प्रियतम भगवान श्रीकृष्ण,,। इसलिए हम आज़ भी अपनी इन कविताओं में वर्णित प्रेम को श्रीकृष्ण के चरणों में निरन्तर समर्पित करते रहते हैं। क्योंकि लिखना केवल हमारा शौक या पसंद हीं नहीं, बल्कि हमारे हृदय की भक्ति का विशुद्धतम और अनुपम रूप हैं, जो शब्दों को माध्यम बनाकर बाहर आता रहता हैं,,। 🌻वासुदेवाय नमः🌻 🌼।।जय श्री कृष्णा।।🌼 🌸राधे राधे,,।🌸🙏🙏D
बहुत अच्छा लिखा आपने। प्रस्तुतीकरण बहुत अच्छा है। शब्दों का चयन तालमेल सभी अच्छा है।
1 फरवरी 2023
कविताई के अंदाज में मुरली मनोहर में डूबी मनभावन प्रस्तुति बहुत अच्छा लगा। कुछ पलों का बखान करूं या सारे पल उनके नाम करूं। हर पल में वो रहता हैं, हर मन में वो बहता हैं। शाम को जब पुरवैया चलती, मन में कुछ हलचल सी करती। जैसे जैसे दिन ढलता हैं, वैसे वैसे रात भी बढ़ती। अब आई हैं चांद की बारी, बातें करनी उससे सारी। वो संदेश हमारा ले जाता हैं, मन को राहत दे जाता हैं। बढ़ती जाएं रात ये काली, जल्द ही सुबह भी होने वाली। चांदनी रात में हम सो गए, पता नहीं मन में कितने सपने हो गए। नींद में हीं मुस्कुराया मन, शायद सपने में था मधुसूदन। यूं ही मुस्कुराते सो गए, हम श्याम के सपनों में खो गए। दिनचर्या को लयबद्ध, करने का किया प्रयास। आप सभी के मन भाएगा, हमारा हैं विश्वास। आज के लिए बस इतना ही, कल मिलते हैं लेकर नयी बात। आएंगे फिर बातें करने, लेकर नए जज़्बात।
10 जनवरी 2023
🌸🌸आपकी सुन्दर समीक्षा के लिए हदय से बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आदरणीय🌸🌸🙏