एक गाँव जिसका नाम ऊँचा गाँव था। वहाँ की जनसंख्या कुछ ज्यादा नही थी।वहाँ के लोग मिल-जुल कर रहा करते थे।उनमें बहुत एकता थी।सारे त्योहार सब मिल-जुल कर मनाया करते थे। एक दूसरे के दुख-सुख के साथी थे। रूपा नाम की एक औरत, गाँव के कुएँ के पास पानी भरने जाती हैं।वहाँ पहले से कुछ औरते पानी भर रही थी।कुएं के पास सभी औरते अपने घर की चुगलियां करती थी। रूपा के आते ही गाँव की औरतों ने ये बोलना शुरू कर दिया कि रूपा तुम खुश खबरी कब सुनाओगी। रूपा इसी पर जवाब देती हैं, बहन मेरी सास मुझे छोड़े तो मै अपने पति के साथ उठू-बैठूं। घर के कामो से मुझे फुरसत नही मिलती। घर के कामो से थोड़ा फ्री होती भी हु तो मेरी सास के चार काम सामने होते है। इतने पर रूपा के सहेलिया जोर जोर से हँसने लग जाती हैं,और उनमे से एक सहेली बोलती हैं, की अपनी सास को बोल कि अगर मैं अपने पति के साथ समय नही बिताउंगी तो तुम्हे दादी कैसे बनाउंगी। रूपा ओर उसकी सहेलिया ये सुनकर जोर जोर से हँसने लग जाती हैं। तभी एक जोरो से आवाज़ आती हैं,छोले- भटूरे ले लो। रूपा ओर उसकी सहेलिया छोले भटूरे बेचने वाली के पास चली जाती हैं। ओर कहती हैं कि एक-एक प्लेट छोले भटूरे लगा दो। छोले भटूरे वाली ने सबके लिए एक -एक प्लेट छोले भटूरे लगा दिया,लेकिन रूपा ने अपने लिए नही लगवाई प्लेट। उसी पर छोले भटूरे वाली ने कहा आप क्यों नही खा रही,रूपा ने कहा कि मै बाहर का तला-भुना नही खाती। रूपा की सहेलियो ने छोले भटूरे की बहुत तारीफ करी,ओर रूपा को भी खाने के लिए बोला। लेकिन रूपा ने खाने के लिए सबको मना कर दिया।
अगले दिन जैसे ही सुबह हुई, रूपा कुँए पर पानी भरने गयी। वहाँ कुछ गाँव की औरते तो थी लेकिन रूपा की दोनो सहेलिया दिखाई नही दे रही थी। रूपा ने वहाँ उन दोनों की वहाँ उन दोनों की पूछ -ताछ की, लेकिन।किसी को कुछ नही पता था। रूपा जल्दी जल्दी पानी भरने लगी।रूपा अपने घर आई और फिर अपनी दोनो सहेलियो के घर गयी और वहाँ पता चला कि वो दोनों घर तो आयी थी लेकिन सुबह से वो दोनों गायब हैं। रूपा डर गई थी। रूपा अपने घर आई और अपने पति से सारी बात बताने लगी। उसके पति ने हस कर ये बात टाल दी।
अगले दिन गाँव मे फिर से वो औरत छोले भटूरे बेचने आयी। छोले भटूरे वाले ने जोर जोर से चिल्लाने लगी छोले भटूरे लेलो। दो आदमी रास्ते से गुजर ही रहे थे।उन्होंने उसकी आवाज़ सुनी ओर उसकी तरफ देखा और एक दूसरे से बोलने लगे- अरे देखो ये तो बहुत ही सुंदर है देखने मे। उनमे से एक बोला ये तो तुम्हारे भाभी बनने लायक हैं। दोनो ने तेज़ी से कदम बढाये ओर वहाँ उसके पास जा पहुँचे। उन्होंने छोले भटूरे वाली को छोले की प्लेट लगाने को बोला। खाने के बाद उन्होंने उसकी तारीफों के तो पूल बांध दिए।
अगले दिन उन।दो आदमियो के गायब होने की खबर सुनकर रूपा बेहद डर गई थी। उसने ये सारी बात अपने पति को बता दी। अब उसका पति इन बातों को हसी में नही टाल सकता था।गाँव के सभी लोग छोले भटूरे वाली के छोलों की तारीफ करने लगे थे। गाँव मे लोग धीरे धीरे गायब होने लगे थे। ये बात रूपा ने ओर उसके पति ने पंचायत तक पहुँचा दी। अगले दिन रूपा छोले भटूरे वाली का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही छोले भटूरे वाली ने छोले भटूरे लेलो की आवाज़ लगाई वैसे ही रूपा उसके पास जा पहुँची।
रूपा ने जाते ही कहा कि मेरे लिए एक प्लेट लगा दो,ओर रूपा की नज़र उस औरत के पैरों पर पड़ी तो देखा उसके पैर तो उल्टे हैं। रूपा एक दम शान्त तरीके से वो छोले भटूरे खा लेती है। औऱ घर आकर अपने पति को सारी बात बताती हैं। उसका पति उसको डांटने लगता हैं कि जब तुम जानती थी कि वो एक चुड़ैल है तो तुमने क्यों खाया। रूपा ने उसी पर जवाब दिया अगर वो चुड़ैल है तो हम औरते उससे भी बड़ी चुडैल हैं।ये सब कहकर रूपा सो गयीं लेकिन उसके पति को नींद नही आई। रात हो जाने के बाद छोले भटूरे बेचने वाली औरत चुड़ैल का रूप धारण कर रूपा के घर आजाती है, रूपा को यूं गहरी नींद में सोया देख बोलती हैं कि ये तो बहुत ही बहादूर हैं। चुड़ैल रूपा को उठाकर लेजाती हैं। उसके पीछे रूपा का पति भी मशाल लेकर चल पड़ता हैं। चुड़ैल एक दरवाजे के सामने आ रुकती है और बोलती हैं खुलजा सिम -सिम, इतना बोलने पर दरवाजा खुल जाता हैं। और चुड़ैल के पीछे पीछे रूपा का।पति भी अंदर घुस जाता हैं। चुड़ैल रूपा को वहाँ रख कुछ।काम के।लिए निकल जाती हैं।रूपा के होश में अजाने के बाद रूपा देखती हैं उसकी सहेलिया ओर गाँव के सब लोग वही हैं रूपा से उसकी सहेलिया बताती हैं कि पूर्णिमा के दिन ये हमे मार डालेगी। चुडैल के आते ही रूपा ओर उसकी सहेलियो ने मशाले उठा ली। रूपा ओर उसका पति , ओर सभी गाँव वालों ने मशालों चुड़ैल को जला डाला।
इस तरीक़े से रूपा ओर गाँव वालों ने चुडैल से छुटकारा पाया।
शिक्षा:- एकता में बल हैं।