- ओ ज़िन्दगी इस दिल तले, सवाल हैं कई अनकहे
जवाब तेरे पास हैं, पर वक़्त कि दरकार है
एक लम्हा भी मिले, तुझसे मैं ये पूछ्लूं
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
कोई क्या सिखाएगा, कोई क्या बताएगा
क्या किताबों का लिखा , कोई साथ लेकर जायेगा
एक कदम जो तू चले, तेरे साथ मैं चलूँ
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
एक पल मैं हंसा, एक पल मैं रो लिया
कुछ पलों का साथ था, और फिर तनहाइयाँ
कोई भी ऐहसास हो, तुझसे मेरी गुफ्तगू
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
ता उम्र मैं दौड़ा किया, चाँद सिक्कों के लिए
कुछ यूँ हुआ वोह मिल गया, जाने क्या मेरा खो गया
अब तेरी तलाश में, हूँ भटकता कू-ब-कू
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
अब कहाँ ये दिल मेरा, ख्वाब कोई देखता
अब कहाँ नज़रें मेरीं, आसमा को ताकतीं
कुछ मिले या न मिले, बस जानने की आरज़ू
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
है मोड़ फिर एक नया, अब मौत मेरी हमसफ़र
पर चलेगा रास्ता, और चलता जायेगा
होगा नयी राह में, 'राही' तुझसे रू-ब-रू
तू कौन है, मैं कौन हूँ!
तू कौन है, मैं कौन हूँ! - (ये मशहूर शायर * राही * की रचना है. )