भाग I
रिज़र्व बैंक अपने सभी निर्गम कार्यालयों तथा वाणिज्यव बैंकों की मुद्रा तिजोरी शाखाओं में कटे-फटे और विरूपित नोट बदलने की सुविधा जनता को प्रदान करता है। नोट वापसी नियमावली को समझने एवं उसके प्रयोग को आसान बनाने के लिए, इन नियमों में व्यावपक स्तिर पर संशोधन कर उन्हें सरल बनाया गया हैं। यह भी निर्णय लिया गया है कि नामित शाखा का कोई भी अधिकारी संबंधित शाखा में प्रस्तु त कटे-फटे नोटों का अधिनिर्णय कर सकता है। यह आशा की जाती है कि नियमों का सरलीकरण और उदारीकरण निर्दिष्ट अधिकारी एवं विरूपित नोटों के प्रस्तु तकर्ता, दोनों के लिए, संशोधित नियमावली को समझने और निर्दिष्टस अधिकारी को इसे निष्पतक्ष रूप से लागू करने के लिए सहायक होगा।
जबकि गंदे नोटों के विनियम की सुविधा, सभी बेंाकें द्वारा उनकी सभी शाखाओं में प्रदान की जानी है, कटे-फटे नोटों के विनियम की सुविधा, नामित बेंक शाखा/ओं (सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बेंक सहित) में सभी निविदाकारों के लिए, चाहे उस बैंक में उनका खाता है या नहीं उपलब्ध् होगी। जनता के प्रति समग्र रूप से पूरी बैंकिंग प्रणाली की यह एक जिम्मेकदारी है। यह कहना अनावश्यीक है कि भारतीय रिज़र्व बैंक नोट वापसी नियमावली के सरलीकरण और उसके विस्तावर का उद्देश्यि आम जनता को उनके कटे-फटे नोटों को बिना किसी कठिनाई के विनिमय में सहायता करना है। नामित बैंक शाखओं को सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह सुविधा सामान्यक रुप से आम जनता के हित के लिए प्रदान की जाए और किसी व्यचक्तिसमूह द्वारा इसका अतिक्रमण न होने पाए।
इस पुस्तिका में योजना के अंतर्गत पालन किये जानेवाले नियम और अपनायी जानेवाली क्रियाविधि सम्मिलित है। शीघ्र और आसानी से बोध हो सके, इसके लिए महत्वनपूर्ण नियम परिवर्तित किये गये हैं। कटे-फटे नोट स्वी कार करने, उनका अधिनिर्णय और भुगतान करने, के सबंध में शाखाओं द्वारा अपनायी जानेवाली क्रियाविधि इस पुस्तिका में दी गयी है। इस संबंध में आगे दिए जानेवाले अनुदेश, इस पुस्तिका के संदर्भ में होंगे और बैंकों की शाखाएं, पुस्तिका में आवश्यिक संशोधन करते हुए इसे अद्यतन करेंगी। यदि इस योना के बारे में कोई स्पशष्टी करण चाहिए हो तो उसके बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों में निर्गम विभागों को या मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई – 400 001 को लिखा जाये ई-मेल.
भाग II
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 स्पदष्टी करण सहित
अ. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंध:
धारा 28: किसी अधिनियमित या विधि-नियम में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी कोई व्याक्ति केंद्र सरकार या रिज़र्व बेंक से किसी खोये हुए, चोरी किये गये, विकृत या अपूर्ण करेन्सीं-नोट या बेंक-नोट का मूल्यो अधिकारेण प्रत्युिद्धत करने का हकदार नहीं होगा। परंतु रिज़र्व बैंक, केंद्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी से वे परिस्थितियां जिनमें वो शर्ते और परिसीमाएं विहित कर सकेगा, जिनके अधीन, ऐसे करेंसी-नोटों या बेंक-नोटों का मूल्यी अनुग्रह स्व रूप प्रतिदत्तब किया जा सकेगा, और इसपरंतुक के अधीन बनाये गये नियम संसद के पटल पर रखे जायेंगे।
धारा 58 (1): केंद्रीय बोडग्, इस अधिनियम के उपबन्धोंं को प्रभाव देने के लिए जिन विषयों के लिए उपबन्ध करना आवश्य)क या सुविधाजनक है उन सबके लिए ऐसे विनिमय, जो अधिनियम से संगत हैं, केंद्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी से राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगा।
धारा 58(2): विशिष्टनतया और पूर्वगामी उपबंध की व्य पकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे विनियम निम्न5लिखित सब विषयों या उनमें से किसी के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात :-
(क) ................
(ख) ................
(ग) ................
................
(थ) वे परिस्थितियां जिनमें एवं वो शर्तें और परिसीमाएं जिनके अधीन भारत सरकार के किसी खोये, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेन्सीर नोट या बैंक-नोट का मूल्य प्रतिदत्तऐ किया जा सकेगा।
(भारत के राजपत्र के भाग III, खण्डर 4 में प्रकाशित)
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना
मुंबई दिनांक 04 अगस्त 2009
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 58 की उपधारा (2) के खंड (थ) तथा उपधारा (1) के साथ पठित उक्त1 अधिनियम की धरा 28 के परन्तुीक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 के अधिक्रमण, करने इस तथा इससे पहले की गयी या करने के लिए छोड़ दी गयी बातों को छोड़कर, भारतीय रिज़र्व बैंक का केंद्रीय निदेशक बोर्ड, केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुमति से इसके द्वारा उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और सीमाओं को निर्धारित करने हुए निम्लडलिखित नियम बनाता है, जिनके अंतर्गत खोये, अपूर्ण या कटे-फटे नोटों का मुल्यव अनुग्रह के रुप में वापस किया जा सकता है अर्थात
1. लघु शीर्ष, प्रयोग और प्रारंभ :-
(1) इन नियमों को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 कहा जायेगा।
(2) ये नियम, उस नोट के लिए लागू होंगे, जो बैंक के समक्ष उसकी प्रस्तुगति की तारीख पर वैध मुद्रा है।
(3) ये सरकार के राजपत्र में उसके प्रकाशन की तारीख पर अमल में आयेंगे।
2. परभिाषाएं:
इन नियमों में जब तक इस संदर्भ को अन्यजथा आवश्यपक नहीं माना जाता:-
(क) ''अधिनियम'' से अभिप्राय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 की धारा 2) है;
(ख) ''बैंक'' से अभिप्राय अधिनियम की धारा 2 द्वारा गठित भारतीय रिज़र्व बैंक से है;
(ग) ''बैंक नोट'' से अभिप्राय बैंक ,ारा जारी किये गये किसी नोट से है, परंतु उसमें एक रुपये का नोट जिसे भारत सरकार, वित्ते मंत्रालय, आर्थिक सेवा विभाग द्वारा जारी 28 मार्च 1980 की अधिसूचना सं.जी.एल.आर.426 के अनुसार बैंक नोट माना गया है, के अलावा अन्य सरकारी नोट सम्मिलित नहीं ह;
(घ) ''आवश्य क लक्षणों'' से अभिप्राय सुरक्षा विशेषताओं सहित उन लक्षणों से है जो किसी नोट की पहचान के लिए आवश्यरक हैं, अर्थात:-
जारी करनेवाले प्राधिकारी अर्थात् यथास्थिति, भारतीय रिज़र्व बैंक या भारत सरकार का नाम हिंदी या अंग्रेजी में;
प्रतिभूति (गारंटी) खेड हिंदी और/या अंग्रेजी में;
वचन खंड हिंदी और/या अंग्रेजी में;
हस्ताक्षर हिंदी और/या अंग्रेजी में;
यथास्थिति अशोक स्तंीभ का चिह्न या महात्माअ गांधी की प्रतिमा; और
यथास्थिति अशोक स्तंीभ या महात्माा गांधी की प्रतिमा के प्रतीक का जलचिह्न (वाटरमार्क)
स्टपष्टीकरण : इस खंड के उद्देश्यों के लिए -
(क) नोट की वास्तणविकता या अन्य था निर्धारण करने के लिए, निम्नडलिखित सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं;
कागज की गुणवत्तात
संख्या पटल की संख्या ओं का माप एवं आकार
सुरक्षा धागा
उभारदार (intaglio) मुद्राण
उर्ध्वाधार पट्टी में अप्रकट छवि
इलेक्ट्रोटाईप जलचिह्न (वॉटरमार्क विंडो में)
सूक्ष्म लेखन (मायक्रेालेटरिंग)
चममीलापन (संख्याख पटलों और मुख्यं मध्यं पट्टी)
प्रकाश में परिवर्तनीय स्यापही (पाच सौ रु. और एक हजार रु. मूल्यतवर्ग के नोटों में)
दोनों ओर छपे चिह्नों का सटीक मेल
बैंक द्वारा भविष्यक मे कोई अन्यक सुरक्षा विशेषता
(ख) नोट की आवश्यणक विशेषताएं, नियम अधिकारी को किसी कटे-फटे नोट की वास्ताविकता या अन्यखथा निर्धारण करने में सहायता की दृष्टि से बतलाई गयी हैं;
(ड.)''सरकारी नोट'' से अभिप्राय उस नोट से है, जो भारत सरकार द्वारा जारी किया गया अथवा भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बेंक को दिया गया हो और बैंक ने उसे जारी किया हो, बशर्ते ऐसे नोट के संबंध में मूल्यब की अदायगी की देयता बैंक पर डाल दी गयी हो और बैंक ने ले ली हो।
(च) ''अपूर्ण नोट'' से अभिप्राय ऐसे किसी नोट से है, जो पूर्णत: या अंशत: विरूपित, सिकुड़ा हुआ, गीले होने के कारण फीका हुआ, परिवर्तित या अस्पसष्ट, हो, परंतु इसमें कटा-फटा नोट सम्मिलित नहीं है।
(छ) ''कटे-फटे नोट'' से अभिप्राय ऐसा नोट से है जिसका एक भाग न हो या जो दो टुकडों से अधिक टुकडों को जोडकर बनाया गया हो;
(ज) ''बेमेल नोट'' से अभिप्राय ऐसे कटे-फटे नोट से हे जो किसी एक नोट के आधे भाग को किसी दूसरे नोट के आधे भाग में जोड़कर बनाया गया हो।
स्पष्टीकरण: इस संबंध में संदेह हो दूर करने के लिए एत्तद्वारा यह बताया जाता है कि ''बेमेल नोट की पहचान संख्याध, हस्तााक्षर आदि और/या अन्य सुरक्षा विशेषताओं की जांच करने के बाद की जा सकती है;
(i) ''नोट'' से बैंक नोट या सरकारी नोट अभिप्रेरित है:
(ii) ''निर्दिष्ट4 अधिकारी'' से अभिप्राय बैंक के निर्गम विभाग के किसी अधिकारी या इस संबंध में बैंक ,ारा, करार के माध्येम से, उस के किसी एजेंट/नामित बैंक का कोई अधिकारी जिसे नोट वापसी नियमावली के अंतर्गत अधिनिर्णय हेतु कटे-फटे नोटों को स्वी कारने के लिए प्राधिकृत किया गया है।
(झ) ''गंदे नोट'' से अभिप्राय ऐसे नोट से है, जो प्रयोग के कारण गंदा अुआ हो और इसमें आपस में जुडे दो टुकडे नोट भी शामिल है जहां प्रस्तुपत किये गये दोनो टुकडे एक ही नोट के हो और इस तरह पूर्ण नोट बनाते हों।
2. इसमें प्रयुक्तम ऐसे शब्दप और अभिव्येक्ति जिन्हेट यहां परिभाषित नहीं किया गया है परंतु अधिनियम (ऐक्टर) में वे परिभाषित हैं उनके लिए वही अर्थ निहित होंगे जैसा कि अधिनियम में है।
3. कटे-फटे नोट के अधिनिर्णय से संबंधित निर्णय - कटे-फटे नोट के अधिनिर्णय के संबंध में यदि कोई विवाद हो तो उसे निर्णय के लिए 'बैंक' को भेजना चाहिए और इसका निर्णय दावेदार, उसके नामिती और उत्रा तो धिकारियों के लिए बाध्य कारी होगा।
4. दावे की प्रस्तु ति और निपटान – किसी भी नोट के संबंध में दावा, इन नियमों के अंतर्गत अधिनिर्णय एवं मूल्य के भुगतान के लिए निर्दिष्टल अधिकारी के समक्ष प्रस्तुदत किया जा सकता है।
5. जानकारी मांगने या जांच करने का अधिकार – निर्दिष्ट अधिकारी, यदि आवश्यिक समझे तो, इन नियमों के अंतर्गत उसके समक्ष प्रस्तु त किये गये किसी दावे के संबंध में कोई जानकारी मांग सकता है या जांच कर सकता है, और जहां नोट की वास्तेविकता संदिग्धी हो, तो ऐसे संदिग्धत नोट को वह विशेषज्ञ मत के लिए महाप्रबंधक, करेंसी नोट प्रेस, नासिक रोड या इस उद्देश्या के लिए लागू किसी विधि के अंतर्गत यथानामित किसी अन्यर प्राधिकारी के पास भेजेगा।
6. सभी दावों के संबंध में सामान्य् उपबंध -
(1) किसी ऐसे नोट, जो चोरी हो गया है, खो गया है, या पूर्णत: नष्टउ हो गया हो, के संबंध में कोई दावा स्वीभकार नही किया जाएगा।
(2) निर्दिष्ट अधिकारी यदि इस बात से संतुष्ट हो कि उसके समक्ष प्रस्तुजत किया गया कटा-फटा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी कार्यालय में निरस्तष (रद्द) किया जा चुका प्रतीत हो तो है अथवा किये गये दावा का भुगतान इन नियमों के अंतर्गत पहले ही किया जा चुका प्रतीत होतो वह, उपर्युक्तत नियम 5 के अंतर्गत पूछताछ के पश्चाहत, ऐसे नोट पर किये गये दावे का भुगतान करने से मना कर सकता है।
(3) उस नोट के संबंध में दावा जिसे
(i) निश्चित रुप से ऐसे वास्त विक नोट के रूप में नहीं पहचाना जा सके जिसका दायित्वऐ अधिनियम के अंतर्गत बैंक पर है।
(ii) अपूर्ण बनाया गया हो या इस उद्देश्यो से काटा-फाड़ा गया हो कि वह उच्चवतर मूल्यय वर्ग का प्रतीत हो या इन नियमों के अंतर्गत या अन्यदथा झूठा दावा प्रस्तुात करने के उद्देश्य से या बैंक या जनता को धोखा देने के लिए जान-बूझकर काटा-फाड़ा गया हो, विकृत किया गया हो, परिवर्तित किया गया हो या किसी अन्यत तरीके से उस पर कार्रवाई की गयी हो; यह आवश्ययक नहीं है कि दावेदार ने स्वनयं ऐसा किया हो।
(iii) जिसपर आपत्तिजनक शब्दव लिखे हों या किसी राजनीतिक या धार्मिक स्व रूप का संदेश देने या देने में सक्षम भाव को व्यतक्तव करने वाली दृष्टीव्यय अभिव्यक्ति हो या किसी व्य क्ति या उद्यम के हित को बढावा देने के उद्देश्य् से कुछ लिखा गया हो।
(iv) दावेदार द्वारा किसी कानून के प्रावधान का उल्लं घन करके भारत से बाहर के किसी स्थािन से लाया गया हो।
(v) निर्दिष्टा अधिकारी अथवा बैंक द्वारा मांगी गयी कोई सूचना, जो लागू हो, दावेदान ने सूचना मांगने की नोटिस या पत्र की प्राप्ति की तारीख से तीन महीने के अंदर प्रस्तुभत न की हो, या
(vi) निर्दिष्टर अधिकारी के अभिमत के अनुसार ऐसे दावे के संबंध में जहां जानबूझकर धोखाघड़ी करने का आशय प्रतीत होता हो, अस्वी कृत किया जायेगा और उस समय में लागू किसी अन्यक नियम के तहत विचार करने के लिए पात्र नहीं होगा।
7. अपूर्ण नोट – अपूर्ण नोट के लिए नियम 8 में दी गयी सारणियों में निर्दिष्टा किए गए अनुसार पूरा/ आधा मूल्य् अदा किया जा सकता है, यदि,
(क) वह विषयवस्तुम, जो नोट पर मुद्रित है पूरी तरह से अपठनीय न हो गयी हो, और
(ख) नोट पर पठनीय विषयवस्तुू के आधार पर निर्दिष्ट अधिकारी इस बात से संतुष्ट् हो कि वह असली नोट है
8. कटे-फटे नोट –
(1) एक रुपये, दो रुपये, पॉंच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यकवर्ग के नोटों के संबंध में दावे का अधिनिर्णय निम्नअलिखित पद्धति से किया जाएगा अर्थाता,
i) यदि प्रस्तु त किये गये नोट के सबसे बड़े एक अविभाजि टुकडे का क्षेत्र अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्य वर्ग के नोट के कुल क्षेत्र से 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो उपर्युक्त मूल्यकवर्गों के कटे-फटे नोटों का पूर्ण मूल्यि देय होगा;
ii) यदि प्रस्तुयत किये गये नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकडे का क्षेत्र 50 प्रतिशत से कम अथवा बराबर हो तो दावे को अस्वी्कृत किया जायेगा।|
स्पष्टीकरण: इस उप-नियम के लिए यह स्प ष्ट किया जाता है कि एक रुपये, दो रुपये, पॉंच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यिवर्ग के कटे-फटे नोट के पूर्ण मूल्य0 का भुगतान तभी किया जा सकता है, जब यदि प्रस्तुमत नोट का सबसे बड़ा टुकडा निम्नन सारणी में दर्शाये गये अनुसार क्रमश: 31,34,38,44 और 47 वर्ग सेंटीमीटर से अधिक हो अथवा उसके बराबर हो।
सारणी – 1
मूल्यवर्ग
लंबाई (सेंटीमीटर)
चौडाई (सेंटीमीटर)
क्षेत्र (सेंटीमीटर में)
भुगतान के लिए आवश्यक
न्यूानतम क्षेत्र (सेंमी.में रु)*
1
9.7
6.3
61
31
2
10.7
6.3
67
34
5
11.7
6.3
74
38
10
13.7
6.3
86
44
20
14.7
6.3
93
47
* प्रत्येक मूल्येवर्ग में नोटों के क्षेत्र के आधे के बाद अगले पूर्ण अधिक वर्ग सेंटीमीटर के रुप में दर्शाया गया है।
(2) पचास रुपये और अधिक मूल्य-वर्गों के नोटों के संबंध में दावे का भुगतान निम्निलिखित पद्धति से किया जायेगा, अर्थात -
i) यदि प्रस्तु्त नोट का सबसे अविभाजित टुकडा अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्यपवर्ग के नोट के क्षेत्र से 65 प्रतिशत से अधिक हो तो उपर्युक्तं मूल्यंवर्गों के कटे-फटे नोटों का पूर्ण मूल्य देय होगा।
ii) यदि प्रस्तुआत नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकडे का अविभाजित क्षेत्र अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्य़वर्ग के क्षेत्र के 40 प्रतिशत से अधिक और 65 प्रतिशत से कम अथवा समान हो तो नोट का आधा मूल्य़ देय होगा।
iii)यदि नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 40 प्रतिशत से कम हो तो कोई मूल्यट देय नहीं होगा और दावे को अस्वी कृत किया जायेगा।
iv) यदि पचास रुपये से एक हजार रुपये मूल्युवर्ग तक कटे-फटे नोटों के दावे में प्रस्तुेत नोट को उसी नोट के दो टुकड़ो से बनाया गया हो और प्रत्ये् टुकडे का क्षेत्र, अलग-अलग, उस मूल्यकवर्ग के नोट के कुल क्षेत्र का 40 प्रतिशत से अधिक अथवा समान हो तो दावे का पूर्ण भुगतान किया जाये और इसे आधे मूल्यर के लिए प्रस्तुपत दो दावे के रुप में नहीं समझा जाए।
स्पष्टीकरण : इस उप-नियम के लिए निम्नप सारणी-2 में दर्शाये गये अनुसार यह स्प ष्ट- किया जाता है कि
(क) यदि प्रस्तुमत कियक गये पचार रुपये, एक सौ रुपये, पॉच सौ रुपये और एक हजार रुपये के कटे-फटे नोट के सबसे बडे अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र, कम से कम क्रमश/ 70,75,80 और 84 वर्ग सेंटीमीटर हो तो उसके लिए पूर्ण मूल्यट अदा किया जा सकता है।
(ख) यदि, सबसे बडे अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र ऊपर उल्लिखित से कम हो तो उपरिनिर्दिष्टए उप-नियम 8 के खण्डे 2)पप) के अनुसार आधे मूल्य के भुगतान के लिए दावे पर विचार किया जा सकता है।
(ग) यदि पचार रुपये, एक सौ रुपये, पॉंच सौ रुपये और एक हजार रुपये के प्रस्तुभत किये गये कटे-फटे नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र क्रमश: कम से कम 43,46,49 और 52 वर्ग सेंटीमीटर हो तो ऐसे नोटों का मूल्यभ आधे मूल्यत के रुप में अदा किया जा सकता है।
(घ) यदि एक ही बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र उपर्युक्तश विर्निदेश से कम हो तो दावे को अस्वीजकृत किया जायेगा।
सारणी - 2
मूल्यवर्ग
लंबाई (सेंमी)
चौड़ाई (सेंमी)
क्षेत्र (सेंमी) में
पूर्ण मूल्यो@
आधे मूल्यो ** के भुगतान हेतु आवश्यक
न्यूनतम क्षेत्र (सेंमी में)
50
14.7
7.3
107
70
43
100
15.7
7.3
115
75
46
500
16.7
7.3
122
80
49
1000
17.7
7.3
129
84
52
@ प्रत्येक मूल्य्वर्ग में नोट के क्षेत्र के 65 प्रतिशत से अगले पूर्ण उच्चव वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित।
** प्रत्येक मूल्य्वर्ग में नोट के क्षेत्र के 40 प्रतिशत से अगले पूर्ण उच्चव वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित अथवा नोट का 40 प्रतिशत।
9. बेमेल नोट धके संबंध में दावे का भुगतान - बेमेल नोट के संबंध में दावे के भुगतान पर निम्न प्रकार से कार्रवाई की जाये -
(क) बीस रुपये मूल्यरवर्ग तक के नोटों के मामले में प्रस्तु त किये गये दो टुकडों में से बड़े टुकड़े का क्षेत्र नापा जाये और छोटे आधे टुकडे पर ध्यारन न देते हुए नियम 8 के उप-नियम (1) के प्रावधानों के अनुसार अधिनिर्णय किया जाये।
(ख) यदि प्रस्तु।त किये गये दोनों टुकड़ो में से कोई भी टुकड़ा उपर्युक्तक नियम 8 के उप-नियम 1 खण्डख (i) के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित न्यू नतम क्षेत्र को पूरा नहीं करता हो, तो दावे को अस्वीधकृत किया जाये।
(ग) पचास रुपये और उससे अधिक मूल्यावर्गों के मामले में दोनों टुकड़ो को अलग-अलग रुप में माना जाये और तदनुसार कार्रवाई की जाये।
10. दावेदारों पर नियम बाध्याकारी होंगे -
(1) इन नियमों के अंतर्गत जो भी अदायगी की जायेगी वह केवल अनुग्रह के रुप में होगी और बैंक यदि समय-समय पर, इन नियमों के उपबन्धोव को अमल में लाने के लिए निर्दिष्टउ अधिकारियों के मार्गदर्शन के लिए ऐसे अनुपूरक और विस्तृोत अनुदेश जारी कर सकता है, जिन्हेंे वह उचित समझे।
(2) यदि कोई व्य्क्ति जो किसी अपूर्ण या कटे-फटे नोट के संबंध में दावा करेगा, यह माना जाएगा कि उसने वह दावा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 28 के प्रावधानों के अंतर्गत और इन नियमों के उपबंधों के अधीन किया है, जो सभी दावेदारों और उनके उत्ताराधिकारियों या नामित व्य क्तियों पर बाध्यहकारी होंगे।
11. नोट को रख लेना और नष्ट करना - निर्दिष्टक अधिकारी के समक्ष दावे के उद्देश्यर से प्रस्तु्त किया गया नोट, चाहे वह किसी मूल्यटवर्ग का हो अथवा दावे के संबंध में निर्दिष्टम अधिकारी का निर्णय कुछ भी हो, रख लिया और नष्टे कर दिया जायेगा अथवा बैंक द्वारा उसका निम्न् प्रकार से अन्यह निपटान किया जाएगा।
(क) किसी ऐसे नोट के मामले में, जिसके संबंध में पूरी अदायगी कर दी गयी है, अदायगी के पश्चा)त किसी भी समय; और
(ख) किसी ऐसे नोट के मामले में जिसके संबंध में कोई अदायगी नहीं की गयी है, या जिसपर आधे मूल्य की अदायगी की गई है, दावे को अस्वी कार करने या आधे मूल्यं की अदायगी जो लागू के निर्णय की जारीख से तीन महीने की अवधि समाप्ते होने है हो यदि इस अवधि के दौरान, बैंक के किसी कार्यालय या किसी नामित बैंक की शाखा को किसी सक्षम न्याधयालय से, उल्लिखित नोट को नष्ट करने या उसके अन्याथा निपटान से रोकने का कोई आदेश प्रस्तुसत नहीं किया जाता है।
12. वैध उत्तराधिकारियों/नामितों को अदायगी -
(1) यदि किसी दावेदार जिसने इन नियमों के अंतर्गत दावा प्रस्तुदत किया हो, की मृत्यु हो जाती है तो उसके वैध उत्त राधिकारी, निर्दिष्टअ अधिकारी द्वारा दावे का मूल्यां कन करने के आधार पर दावेदार को देय राशि का भुगतान प्रज्ञपत करने के योग्यद होंगे।
(2) वैध उत्तघराधिकारी इस उद्देश्यं के लिए निर्दिष्टु अधिकारी को वैध प्रतिनिधि द्वारा शाखा या बैंक के किसी कार्यालय या बैंक द्वारा नामित किसी अन्यद संस्थाय या ईकाई के पक्ष में निष्पाेदित क्षतिपूर्ति बॉंढ प्रस्तु त करने पर, दावेदार को देय भुगतान यदि कोई हो तो, को प्राप्त करने का हकदार होगा। दावेदार के वैध उत्तकराधिकारी को पांच सौ रुपये तक की राशि का भुगतान इस उद्देश्यह के लिए प्रस्तुतत घोषणा के आधार पर किया जा सकता है।
(3) ट्रिपल लॉक रासेप्टॅनकल (टीएलआर) कवर के माध्यरम से बैंक में प्रस्तुनत कटे-फटे नोट के मामले में, प्रस्तुरतकर्ता को कवर पर यथानिर्दिष्टे अन्यप ब्यौबरे जैसे कि बैंक खाता संख्या आदि के साथ अपना नाम और पता लिखना होगा। इसके अलावा व्यदक्तिगत प्रस्तुितकर्ता, अपने विकल्पम के अनुसार कवर पर नामिती का नाम और पता भी लिख सकता है जो उचित पहचान के अधीन क्षतिपूर्ति बांड को प्रस्तुरत किये बिना दावे पर देय हेतु निर्धारित की जानेवाली राशि प्राप्त कर सकता है।
13. मुद्रित फार्म – नियम 12 में निर्दिष्टे किए अनुसार, जहॉं बैंक के पक्ष में किसी क्षतिपूर्ति बांड का निष्पािदन किया जाना हो, वहां बैंक इस नियमावली के अंतर्गत वैसे दावेदार को या अदायगी प्राप्ति करने के लिए पात्र व्यखक्ति को बांड की एक मुद्रित प्रति नि:शुल्क प्रदान करेगा।
14. मुद्रांक शुल्कय – क्षतिपूर्ति बांड पर लगाये जाने वाले किसी मुद्रांक (स्आंप) का मूल्यय बांड निष्पा दित करने वाले व्याकित द्वारा देय होगा।
15. आदाता (पानेवाला) का पता न लगने पर अपनायी जानेवाली प्रक्रिया –
(1) भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों में अधिनिर्णित किये गये नोटों के मामले में, जहां नोट का मूल्या या मूल्यस का भाग दावेदार को देय हो यदि ऐसे दावेदार का पता न लगाया जा सके या उसकी मृत्युी हो गयी हो, उसके वैध उत्त राधिकारी अथवा उसके नामिती का पता नही लगाया जा सके या निर्णय की सूचना दिए जाने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भतर वह राशि प्राप्त करने के लिए कोई कदम न उठाए तो ऐसी देय राशि बैंक के बैंकिंग विभाग को अदा की जाएगी।
(2) निर्दिष्टऐ बैंक की शाखा अथवा अन्यय इकाईयों में, अधिनिर्णित कटे-फटे नोट के मामले में, निर्णय की सूचना दिए जाने की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतर यदि प्रस्तु,तकर्ता, राशि प्राप्तक करने के लिए कोई कदम न उछाए तो ऐसी राशि बैंक के निर्गम कार्यालय में जमा की जाएगी।
(उषा थोरात)
उप गर्वनर
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय
केंद्रीय कार्यालय भवन
फोर्ट, मुंबई - 400 001