चेतन मन माली है। वह जिस बीज का चुनाव कर अवचेतन मन को देता है, चाहे वह नीम का हो या आम का या फूल का या जहर का, अवचेतन मन अपनी खेती में बहुत बढ़िया से फसल पैदा कर देता है। अवचेतन मन, चेतन मन का गुलाम है।
जो वह हुक्म देता है, अवचेतन मन, ‘जो हुक्म आका’ कहकर फलीभूत कर देता है। ये ऐसा देवदूत है जो आपके हर विचार, कल्पना को ‘तथास्तु’ कहकर पैदा कर देता है
किसी गुरु या भगवान के प्रति यदि आप पूरी तरह समर्पित हैं तो आपको हर कदम पर आपके वे ही नजर आते रहेंगे। वे आपसे बात भी करेंगे। सबको अपने विश्वास वाले देवी-देवता ही दिखते हैं, दूसरे नहीं। चीन वाले को लंबी दाढ़ी और मूंछ वाले भगवान ही दिखेंगे तो जापानी को जापानी देवता। ऐसे हजारों उदाहरण दिए जा सकते हैं क्योंकि हमें बचपन से अब तक जो दिखाया और सुनाया गया, उसी कंडीशनिंग के हम उत्पाद हैं और इस कंडीशनिंग को कोई तोड़ सकता है तो वह है केवल ध्यान, जागृति या साक्षी भाव। वास्तव में, हम स्वभाव से उतने कामुक नहीं होते। जैसे ही हम किसी सुंदर स्त्री को देखते हैं तो कामुकता की कल्पना करते हैं, उत्तेजित होने लगते हैं। शरीर में रसायन बनने लगता है। ये अपने आप में श्रेष्ठ उदाहरण हैं कल्पना शक्ति का अवचेतन मन पर सशक्त प्रभाव डालने का!
हम फिल्म देखने जाते हैं। जैसे ही हम कोई अति भावुक दृश्य देखते हैं, हम चेतन मन में स्वयं रोने लग जाते हैं। यह जानकारी कि मैं थियेटर में भीड़ के बीच बैठा हूं, आपके पूरे भावों में रोने को अभिव्यक्त नहीं होने देता। लेकिन आपको पता चले कि आप अकेले बैठे हैं तो आप खूब रो लेंगे, कोई पहाड़ से गिर रहा होता है तो आपकी सांस एकदम से रुक जाती है। अब सचमुच में वे घटनाएं घट नहीं रही हैं। आप केवल कल्पना ही तो कर रहे हैं, लेकिन अवचेतन मन तो सच मानकर उसकी प्रतिक्रियाएं करना शुरू कर देता है। अगर आप अनावश्यक कल्पनाएं ही न करें तो अवचेतन मन चुपचाप बैठा रहेगा और ध्यान ही कल्पनाओं के तार को तोड़ सकता है। हमारा चेतन मन कैमरे का लेंस है और अवचेतन मन अंदर की फिल्म। जो चेतन मन, अपने-अपने विश्वास एवं तर्क से चुनाव कर उसे दृश्य दिखाता है और उस पर क्लिक करता है, अवचेतन मन चुपचाप उस दृश्य को स्वीकार कर छाप लेता है।
जैसा चाहे, वैसा पाये
चेतन मन माली है। वह जिस बीज का चुनाव कर अवचेतन मन को देता है, चाहे वह नीम का हो या आम का या फूल का या जहर का, अवचेतन मन अपनी खेती में बहुत बढ़िया से फसल पैदा कर देता है। अवचेतन मन, चेतन मन का गुलाम है। जो वह हुक्म देता है, अवचेतन मन, ‘जो हुक्म आका’ कहकर फलीभूत कर देता है। ये ऐसा देवदूत है जो आपके हर विचार, कल्पना को ‘तथास्तु’ कहकर पैदा कर देता है। वह आपका जिन्न है, आप अपने गहरे विश्वास एवं कल्पनाओं से उसको जो भी आदेश देते हैं, वह ठीक उसी प्रकार आपके जीवन को बनाता या बिगाड़ता चला जाता है। अगर आप कहते हैं कि स्मरण-शक्ति कमजोर है, तो वह कहता है- हां मालिक! आपकी स्मरण- शक्ति कमजोर है। आप कहते हैं कि मुझे हर चीज पूरी-पूरी याद रहती है तो वह कहेगा- ‘हां मालिक, आपको हर चीज पूरी-पूरी याद रहती है।‘ अगर आप कहते हैं कि मैं ये काम कर नहीं सकता या कठिन है, असंभव है तो अवचेतन मन कहता है- ‘हां मालिक! आप यह काम नहीं कर सकते कठिन है, असंभव है।‘ वह आपके चेतन मन की प्रतिध्वनि है जो फेंकोगे वही लौटकर आता रहेगा।
कामधेनु से कम नहीं
बचपन से हमारे माता-पिता, रिश्तेदारों, मित्रों, समाज एवं गुरुओं से अनेक तरह के सही-गलत विचारों को ग्रहण कर लेते हैं और फिर कुछ अपने भी विचार साथ में जोड़कर अपने चारों ओर अपनी गलत धारणाओं की दीवारें खड़ी कर या तो जीवन को कमजोर असफल कर देते हैं, या सही धारणाओं द्वारा खिड़कियां खोलकर जीवन में सफलता के सूर्य को आमंत्रित कर देते हैं और यह सब बेहोशी में होता है। जिसके जीवन में कांटे ही कांटे और असफलताएं हैं या कमियां रह गई हैं उन्हें जल्दी और ज्यादा जागना जरूरी होता है। परंतु जिनके जीवन में सफलताएं समृद्धि, आनंद कदम चूम रहे हैं, वे जागकर और ज्यादा ऊंचाइयों को छू सकते हैं। अवचेतन मन आपकी कामधेनु है, आपका जिन्न है, आपका कल्पवृक्ष है,सही मांगो, सही देता है गलत मांगो गलत दे देगा। जो चाहते हो जाने-अनजाने वह ही आपको मिलता चला जाता है।
साभार: राष्ट्रीय सहारा