कल नज़र पड़ी कुछ ऐसे आँकड़ों पर, जिनकी तलाश अक्सर की जाती है। वाक्या है संयुक्त राष्ट्र की संस्था International Telecommunication Union (आईटीयू) के पांचवे ‘विश्व दूरसंचार विकास सम्मेलन’ का। जो 24 मई को भारत के हैदराबाद में शुरू हुया था और 4 जून को उसका समापन हुया। इस बीच अधिकारियों, विभिन्न वक्तायों व रिपोर्टों के माध्यम से कुछ आँकड़ेसामने आए जो इस तरह हैं:
इस सम्मलेन में विश्व के 187 देशों से 1300 से ज्यादा प्रतिनिधि ने भाग लिया
2010 में विश्व में मोबाइल फ़ोनों संख्या पांच अरब तक पहुँच गई है
चार वर्ष पहले मोबाइल फ़ोनों की संख्या 2.2 अरब थी
तार से जुड़े टेलीफ़ोनों की संख्या में, गत चार वर्षों में, एक करोड़ साठ लाख की कमी हुई है
पिछले चार सालों में जो दो अरब पचास करोड़ नए मोबाइल आये हैं उन में से दो अरब कनेक्शन विकासशील देशों में हैं
भारत में हर महीने दो करोड़ नए फ़ोन कनेक्शन जुड़ रहे हैं.
इस समय मोबाइल फ़ोन के सिग्नल पृथ्वी के 90 प्रतिशत हिस्सों पर पहुंच रहा है, जो 2015 तक बढ़कर सौ प्रतिशत हो जाएगा
दुनिया के ग्रामीण इलाकों में 75 प्रतिशत जनसंख्या तक मोबाइल सिग्नल पहुंचता है और ग्रामीण इलाकों की 50 प्रतिशत जनता इसका उपयोग करती हैं
विश्व में पांच अरब मोबाइल कनेक्शन हैं
कुछ विकसित देशों में जितने लोग आबाद है उससे दोगुनी संख्या में वहाँ मोबाइल फो़न हैं
2015 तक भी विश्व की केवल 50 प्रतिशत जनसंख्या के पास ही मोबाइल फ़ोन होगा और इसे सौ प्रतिशत होने में 2020 तक का समय लगेगा
यूरोप और पूर्व सोवियत यूनियन में शामिल देशों में मोबाइल फ़ोन की सुविधा सौ प्रतिशत तक पहुंच गई है
इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में पिछले चार वर्षों में 77 करोड़ का इजाफ़ा हुआ है
विकसित देशों में इंटरनेट के उपभोक्ताओं की संख्या 64 प्रतिशत थी जबकि विकासशील देशों में यह संख्या 20 प्रतिशत से भी कम थी। मतलब विकसित देशों में हर तीसरा व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा है वहींविकासशील देशों में पांच में से चार व्यक्ति अब भी इंटरनेट से दूर हैं।
विकसित देशों के लोग तेज़ गति वाले ब्रॉडबैंड नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं वहीं विकासशील देशों में यह संख्या केवल 3.5 प्रतिशत के पास है
2009 तक विश्व की आबादी का 26 प्रतिशत हिस्सा यानि 1.7 अरब लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे
विकासशील देशों में केवल 12 प्रतिशत घरों में इंटरनेट मौजूद है
मोबाइल ब्रॉडबैंड कनेक्शन की संख्या चार वर्ष पहले सात करोड़ थी और अब ये बढ़कर 67 करोड़ हो गई है
प्रतिदिन ट्विटर पर पांच करोड़ संदेश भेजे जा रहे हैं
फ़ेसबुक के सदस्यों की संख्या 40 करोड़ तक पहुंच गई है
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विश्व भर में 67 प्रतिशत परिवारों के पास टीवी है और इन घरों की संख्या 1.4 अरब बनती है
यूरोप, अमरीका जैसे देशों में 90 प्रतिशत, अरब देशों में 82 प्रतिशत और एशिया पेसिफिक देशों में 75 प्रतिशत घरों में टीवी है लेकिन अफ़्रीकी देशों में यह दर केवल 28 प्रतिशत है
जो 10 भाषाए इंटरनेट पर छाई हुई हैं उनमें हिंदी नहीं है ये भाषाएँ हैं- अंग्रेजी, जापानी, चीनी, अरबी, स्पेनिश, फ़्रांसिसी, पोर्तुगीज़, जर्मन, रुसी और कोरियाई भाषा