भारत गाँवों का देश कहा जाता हैं. जहाँ लगभग 7 लाख गाँव अपनी किसी न किसी विशेष परंपरा के कारण सुर्ख़ियों में रहते है. आज हम बात कर रहे है राजस्थान के एक गाँव पिपलान्त्री की.
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राजस्थान में स्थित पिपलान्त्री गाँव ने एक प्रथा की शुरुआत की है जिसमे गाँव में जब भी कोई बेटी जन्म लेती है, उसके जन्म की ख़ुशी में ग्रामीण 111 वृक्ष का रोपण कर खुशियाँ मनाते है. गाँव में पुरुषो की संख्या महिलाओ से अधिक है, महिलाओं और पुरुषों के अनुपात की बात करें तो 1000 पुरुषों पर मात्र 928 महिलायें हैं.
बेटी व पर्यावरण के प्रति ग्रामवासियों का यह प्रेम भारत ही नहीं, पुरे विश्व के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. बेटियों के साथ पर्यावरण के प्रति यह आश्चर्यजनक संवेदनशीलता अद्भुत है. गाँव में जिस प्रकार बेटियों की संख्या में वृद्धि होगी उसी प्रकार पर्यावरण का भी संरक्षण भी ग्रामीणों द्वारा किया जायेगा. जो आने वाली पीढ़ी को हरा भरा भविष्य देने में मदद करेगा.
गाँव में बेटी के जन्म लेने पर प्रत्येक ग्रामीण 21,000 रुपए इकट्ठे करते है और नयी जन्मी बेटी के पिता से 10,000 रुपए लेकर कुल 31,000 रुपए की सावधि जमा(Fixed Deposit) बैंक में 20 वर्षों के लिए रख दी जाती है.
माता-पिता भी एक कानूनी शपथ पत्र से बंधे है जिसमे बेटी की उचित शिक्षा का प्रावधान है. इस हस्ताक्षरित शपथ पत्र में बेटी की उम्र कानूनी तौर पर पूर्ण होने के बाद ही शादी करने का प्रावधान है और बेटी के जन्म के बाद लगाए गए वृक्ष का संरक्षण भी ठीक से हो.
पूरा समुदाय यह सुनिश्चित करता है की जिस प्रकार बेटी बड़ी हो रही है ठीक उसी प्रकार वृक्ष का भरण पोषण भी ठीक ढंग से हो रहा है या नहीं!
मुख्यतः ग्रामीणों द्वारा एलो-वीरा के पौधे रोपे जाते है, जो अधिकतर ग्रामीणों का मुख्य रोजगार भी है.
इस अनूठी परम्परा की शुरुआत गाँव के मुखिया श्याम सुन्दर पालीवाल द्वारा की गयी, जिन्होंने कम उम्र में अपनी बेटी को खो दिया था. पिछले 6 वर्षों में उनके द्वारा लाखों वृक्ष लगाए जा चुके है.
यहाँ के ग्रामीणों का दावा है कि पिछले 7 से 8 वर्षों में गाँव में कोई भी पुलिस कार्यवाही नहीं हुई है.
Image Source: piplantri.com
यह प्रेरणादायी पहल भारत सहित पुरे विश्व में दोहराई जाना चाहिए. अधिक से अधिक साँझा करे...
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