सबसे बड़े हिंदू मंदिर के निर्माण में मुस्लिमों ने दान दी अपनी जमीन
27 मई 2015
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पिछले कुछ समय से लगातार बेशक कुछ लोग देश की एकता और साम्प्रदायिक सद्भाव को विचलित करने का प्रयास कर रहे हों लेकिन ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो एकता के इस धागे को और मजबूत करने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं।
कुछ ऐसा ही नायाब उदाहरण सामने आया है बिहार में बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का। जिसके निर्माण के लिए वहां के मुस्लिम परिवार रात दिन एक किए हुए हैं। मंदिर को लेकर मुस्लिमों का योगदान इस कदर है कि उन्होंने अपनी काफी जमीन इस नेक काम के लिए दान भी कर दी है।
अंग्रेजी अखबार TOI में छपी खबर के अनुसार 20000 हजार लोगों की क्षमता वाले इस विशालकाय हिंदू मंदिर के लिए मुस्लिमों ने बड़े पैमाने पर अपनी जमीन दान दी है। इसके अलावा कुछ मुस्लिम परिवारों ने काफी कम कीमत पर मंदिर के लिए जमीन मुहैया कराई है।
बिहार के चंपारण में 500 करोड़ की लागत से बन रहा है मंदिर
मंदिर का निर्माण कराने वाले पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि बिना मुस्लिम परिवारों के सहयोग के इस मंदिर का निर्माण होना आसान नहीं था।
पूर्व आईपीएस रहे आचार्य के अनुसार मंदिर के निर्माण के लिए मुस्लिमों ने आगे आकर अपना योगदान दिया ताकि मंदिर जल्दी से जल्दी तैयार हो सके। बिहार के ईस्ट चंपारण स्थित जानकी नगर केसरिया में 500 करोड़ की लागत से तैयार होने वो इस मंदिर का निर्माण आगामी जून से शुरू होगा।
कुणाल कहते हैं कि मंदिर के लिए हिंदुओं द्वारा भूमि का दान करना तो सामान्य माना जा सकता है लेकिन इस नेक काम के लिए मुस्लिमों का जमीन दान करना वाकई एक मिसाल है। इस पुण्य
होना है दुनिया के सबसे विशाल मंदिर का निर्माण
आचार्य कुणाल ने बताया कि लगभग तीन दर्जन मुस्लिम परिवारों की जमीन मंदिर के प्रस्तावित क्षेत्रफल में थी, जबकि कुछ मुस्लिम परिवारों की जमीन मंदिर को जाने वाले मुख्य रास्ते के बीच में आ रही थी।
ऐसे में काफी मुस्लिम परिवारों ने मंदिर के लिए अपनी जमीन दान कर दी जबकि कई परिवारों ने काफी कम कीमत पर अपनी जमीन मुहैया कराई। वो मानते हैं कि अगर मुस्लिम परिवार इसके लिए आगे नहीं आते तो मंदिर के निर्माण में निश्चित रूप से देरी हो सकती थी।
उन्होंने बताया कि महावीर ट्रस्ट ने मंदिर के लिए कुल 200 एकड़ जमीन एकत्र की है जिसमें से लगभग 50 एकड़ के करीब हिंदू और मुस्लिम परिवारों ने दान दी है, जबकि बाकी की जमीन खरीदी गई है। मुंबई स्थित वलेचा कंपनी 2500 फीट लंबे, 1296 फीट चौड़े ओर 379 फीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण करेगी।
नेपाल की सीमा के नजदीक स्थित इस मंदिर को पूरी तरह भूकंपरोधी बनाया जाएगा। गुडगांव निवासी राधेश्याम शर्मा की कंपनी इंडगेनियस स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड मंदिर के डिजाइन और आर्किटेक्चर की जिम्मेदारी संभालेगी।
शर्मा ने बताया कि वर्तमान में दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर कंबोडिया में 12वीं शताब्दी में बना अंगकोरवाट मंदिर है। जिसकी ऊंचाई 215 फीट के करीब है। जबकि इस मंदिर में 18 मंदिरों के साथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग होंगे।
मंदिर में एक साथ 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता होगी। मुख्य मंदिर में राम, सीता और लवकुश के एक साथ दर्शन हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि पहले इस मंदिर का प्रस्तावित नाम विराट अंगकोरवाट राम मंदिर था, लेकिन बाद में कंबोडिया के लोगों की आपत्ति के बाद इसे बदल कर विराट रामायण मंदिर कर दिया गया।
अच्छी जानकारी .. ये ही सच्चे खुदा के बन्दे हैं , नमन है ऐसे फरिश्तों को जो आज की दुनिआ में जहा धर्म के नाम पर कई दंगे फसाद और नर संहार हो रहे है वहां ये खुद की जमीन मंदिर बनाने के लिए दे रहे हैं ...