हालिया बजट में वित्त मंत्री ने टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट तो नहीं बढ़ाई लेकिन एक अच्छा टैक्स सेविंग टूल लोगों को जरूर सौंप दिया। अब एनपीएस में जमा की गई रकम पर एक आम टैक्स पेयर को 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन मिलेगा। जाहिर है, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एनपीएस पहले के मुकाबले अब ज्यादा आकर्षक योजना हो गई है। कैसे करें एनपीएस में निवेश, बता रहे हैं प्रभात गौड़ :
केंद्र सरकार ने 2004 में रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए नैशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस स्कीम लॉन्च की। 1 जनवरी 2004 के बाद जॉइन करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य है। तकरीबन 5 साल बाद 2009 में इस योजना को प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए भी खोल दिया गया। अब किसी भी सेक्टर में काम करने वाला कोई भी कर्मचारी इस योजना में शामिल हो सकता है। योजना में शामिल होने के लिए कर्मचारी की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए।
इस योजना में दो तरह के अकाउंट खोले जाते हैं। टीयर 1 और टीयर 2। योजना में शामिल होने वाले हर शख्स को एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर कार्ड दिया जाता है, जिस पर 12 अंकों का एक नंबर लिखा होता है। यही नंबर सभी लेन-देन में काम आता है। परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर कार्ड अप्लाई करने के 20 दिनों के भीतर आपके पते पर पहुंच जाता है। इस पीरियड के दौरान अकाउंट होल्डर cra-nsdl.com/CRA पर जा सकता है और अपने अकाउंट नंबर का स्टेटस चेक कर सकता है।
टीयर 1 अकाउंट : इस अकाउंट में जो भी रकम आप जमा कर रहे हैं, उसे वक्त से पहले यानी रिटायरमेंट तक नहीं निकाल सकते। जब आप स्कीम से बाहर जाएंगे, तभी इसकी रकम निकाल सकते हैं। रिटायरमेंट की उम्र से पहले ही अगर आप स्कीम छोड़ रहे हैं, तो ही इसे निकाला जा सकता है।
टीयर 2 अकाउंट : अगर आपने टीयर 1 अकाउंट खोल लिया है तो इस अकाउंट को भी खुलवा सकते हैं। अपनी इच्छा से इसमें पैसा जमा कर सकते हैं और निकाल भी सकते हैं। यह अकाउंट सभी के लिए अनिवार्य नहीं है। इसे खुलवाना या न खुलवाना आपकी इच्छा पर निर्भर है।
कैसे खुलवाएं अकाउंट
- अकाउंट खुलवाने के लिए देश भर में पॉइंट ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) बनाए गए हैं। लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट बैंकों को पीओपी बनाया गया है, इसलिए किसी भी बैंक की नजदीकी ब्रांच में जाकर यह अकाउंट खुलवाया जा सकता है। अकाउंट खुलवाने के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत होगी : रजिस्ट्रेशन फॉर्म, अड्रेस प्रूफ, आइडेंटिटी प्रूफ, बर्थ सर्टिफिकेट।
- अकाउंट खुलवाते वक्त टीयर 1 अकाउंट में कम-से-कम 500 रुपये और टीयर 2 में कम-से-कम 1000 रुपये जमा कराने होंगे। अधिकतम रकम की कोई सीमा नहीं है।
- टीयर 1 अकाउंट में पूरे साल में कम-से-कम 6000 रुपये जमा कराने जरूरी है, तो टीयर 2 अकाउंट में 2000 रुपये। हर फाइनैंशल ईयर खत्म होने पर ये 2 हजार रुपये मेनटेन करने होंगे।
पहले साल यानी अकाउंट खोलते वक्त आपको 470 रुपये खर्च करने होंगे, जिसमें रजिस्ट्रेशन और अकाउंट खोलने की फीस आदि शामिल होगी। इसके बाद दूसरे साल से हर साल आपको मेंटेनेंस चार्ज के तौर पर 350 रुपये सालाना खर्च करने होंगे।
कहां जाता है पैसा
- जो भी पैसा इन अकाउंट्स में आप जमा करते हैं, उसे इनवेस्ट करने का जिम्मा पेंशन फंड मैनेजर का होता है। कुछ फंड मैनेजर इस तरह हैं : एलआईसी पेंशन फंड, आईसीआईआई प्रू पेंशन फंड, एसबीआई पेंशन फंड, रिलायंस कैपिटल पेंशन फंड, आईडीएफसी पेंशन फंड मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, कोटक महिंद्रा पेंशन फंड लिमिडेट। एम्प्लॉयी अपना फंड मैनेजर अपनी इच्छा से चुन सकते हैं और उसे बदल भी सकते हैं। रकम को इनवेस्ट करने के लिए तीन ऑप्शन हैं :
ई क्लास : इसमें रकम इक्विटी में लगाई जाती है।
सी क्लास : इसमें पैसा फिक्स्ड इनकम देने वाले इंस्ट्रूमेंट में लगता है।
जी क्लास : रकम गवर्नमेंट सिक्युरिटी जैसे जीओआई बॉन्ड और राज्य सरकारों के बॉन्ड में लगती है।
अब आपके पास दो ऑप्शन हैं : एक्टिव चॉइस या ऑटो चॉइस। एक्टिव चॉइस में आप खुद तय करेंगे कि आपका कितना पैसा किस क्लास में लगेगा। ऑटो चॉइस में आपको फैसले लेने की जरूरत नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इक्विटी का एक्सपोजर अपने आप घटता जाता है। मोटे तौर पर यह साइकल ऐसे चलता है :
क्लास 35 या उससे कम उम्र तक 45 साल की उम्र में 55 साल की उम्र में
ई 50 फीसदी 30 फीसदी 10 फीसदी
सी 30 फीसदी 20 फीसदी 10 फीसदी
जी 20 फीसदी 50 फीसदी 80 फीसदी
स्कीम से बाहर आना
60 साल से पहले आपका जितना भी फंड बना है, उसके कम-से-कम 80 फीसदी हिस्से की आपको इरडा द्वारा मान्यता प्राप्त इंश्योंरेस कंपनी से
लाइफ एन्युटी लेनी होगी। इस एन्युटि से ही आपको हर महीने पेंशन मिलेगी। बाकी बची 20 फीसदी रकम आप कैश ले सकते हैं।
60 से 70 साल तक आपकी जितनी भी पेंशन वेल्थ बनी है, उसके कम-से-कम 40 फीसदी हिस्से की इरडा द्वारा मान्यता प्राप्त इंश्योंरेस कंपनी से लाइफ एन्युटी
लेनी होगी। इस एन्युटी से आपको हर महीने पेंशन मिलती रहेगी। बाकी रकम आप एक साथ या थोड़े-थोड़े समय के बाद ले सकते हैं।
60 साल से पहले मौत होने पर नॉमिनी को पूरी पेंशन रकम दे दी जाती है।
कितनी पेंशन
यह सबसे अहम सवाल है कि एनपीएस में मुझे पेंशन कितने रुपये महीना मिलेगी? यह निर्भर करता है इस बात पर कि 60 साल का होने पर आप कितनी रकम की एन्युटी खरीदते हैं। जितनी ज्यादा रकम की एन्युटी खरीदेंगे, उतनी ही ज्यादा रकम हर महीने पेंशन की मिलेगी। और एन्युटी कितने की खरीद रहे हैं, यह निर्भर करेगा इस बात पर कि आपका पेंशन वेल्थ कितना बनता है और उस पर आपको रिटर्न कितना मिला है। इन सभी फैक्टरों से पेंशन की रकम तय होती है इसलिए ठीक-ठीक यह बता पाना संभव नहीं है कि कितनी रकम हर महीने पेंशन मिलेगी। पेंशन एन्युटी सर्विस प्रोवाइडर सीधे आपके बैंक खाते में हर महीने जमा करेगा। फिर भी अगर आप चाहते हैं यह जानना कि आपको कितने रुपये जमा करने पर कितनी पेंशन मिलेगी तो नीचे दिए लिंक पर दिए कैलकुलेटर की मदद ले सकते हैं। यहां अपने हिसाब से अपने डेटा भरिये और पता कीजिए कि आपको कितनी पेंशन मिलेगी।
hdfcpension.com/nps-calculator.html
इनकम टैक्स का फायदा
- अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो एनपीएस में आप कितनी भी रकम जमा कर सकते हैं, लेकिन 10 फीसदी तक की जमा की गई रकम पर ही टैक्स का फायदा मिलेगा। सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी और डीए से है।
- अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं, तो एनपीएस में आप कितनी भी रकम जमा कर सकते हैं, लेकिन टैक्स फायदा आपको ग्रॉस टोटल इनकम के दस फीसदी तक ही मिलेगा। ग्रॉस टोटल इनकम का मतलब है, साल में आपकी सभी स्रोतों से होने वाली कुल आमदनी (डिडक्शन से पहले)।
- अगर कोई 10 फीसदी से ज्यादा का योगदान कर रहा है तो उसे 10 फीसदी से अतिरिक्त रकम पर टैक्स का फायदा नहीं मिलेगा।
- 80 सी में मिलने वाली डेढ़ लाख की सीमा के अलावा 80सीसीडी में इस बार के बजट में सरकार ने 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन देने की बात कही गई है। 30 पर्सेंट के टैक्स ब्रेकेट में आने वाले यानी 10 लाख रुपये सालाना से ज्यादा कमाई करने वाले इसके जरिये 15,450 रुपये तक टैक्स सेविंग कर सकेंगे। यह एडिशनल लिमिट सेक्शन 80सीसीई के तहत मिलने वाले डेढ़ लाख रुपये के डिडक्शन से अलग है।
- प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी अपने एम्प्लॉयर से कह सकते हैं कि वे उनकी सैलरी को रीस्ट्रक्चर कर दें और कोई ऐसा अमाउंट उनके एनपीएस अकाउंट में डालें, जिस पर टैक्स देना होता है। इस तरह एम्प्लॉयर को भी इस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी, एम्प्लॉयी को तो एक्स्ट्रा छूट मिलेगी ही। एम्प्लॉयर द्वारा एनपीएस में किए गए इस योगदान को आप अपनी टैक्सेबल इनकम से बाहर रख सकते हैं। यह छूट आपके खुद के द्वारा किए जा रहे योगदान (जो 80 सी की सीमा में है) से अलग है।
- रिटायरमेंट के बाद जो रकम आपको हर महीने पेंशन के तौर पर मिलेगी, वह आपके हाथों में टैक्सेबल होगी।
- मैच्युरिटी के वक्त जो रकम आपको मिलेगी, उस पर भी टैक्स लगेगा। यहां बता दें कि ईपीएफ और पीपीएफ से होने वाली आमदनी टैक्स फ्री होती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एनपीएस में दिया गया 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन एनपीएस को पहले से ज्यादा आकर्षक बनाता है। जिन लोगों का अभी तक इक्विटी में एक्सपोजर नहीं है, वे रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए एनपीएस को जरूर आजमाएं।
- सुरेश सदगोपन, प्रिंसिपल फाइनैंयाल प्लानर,