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दैनन्दिनी

ENGINEER SHASHI KUMAR

64 अध्याय
1 लोगों ने खरीदा
15 पाठक
2 अक्टूबर 2022 को पूर्ण की गई

इस किताब के माध्यम से देश, समाज में होने वाली दिन-प्रतिदिन की होने वाली घटनाओं और समाज में होने वाले परिवर्तन, प्रेम,जीवन पर आधारित लेख प्रकाशित किये जायेंगे। 

dainandini

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पुस्तक के भाग

1

बेटी

6 मार्च 2022
4
1
1

बेटी घर की शोभा है,घर-आंगन महकाती है।करती कर्तव्य हमेशा पूरे,घर की आभा कहलाती है।बेटी सपने करती है पूरे,देवी का रुप कहीं जाती।कली होती है बाग बेटी, खिल कर सभी को खिलाती।आंगन की शोभा बनकर के,थकती ना ख

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जीवन साथी

7 मार्च 2022
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प्यार असीम जो करती है,रखती है हरपल ख्याल मेरा।हर इच्छा पूरी जो करती, जाने हर पल जाने हाल मेरा।चाहती है जीवन मेरा वह, कभी ना वह इंकार करे।मेरे सपने सजाने में,हर सपने अपने तैयार करें।जीवन में

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प्रतिस्पर्धा

14 मार्च 2022
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मनुष्य ही मनुष्य के लिए हानिकारक होता है। यह बात आज स्पष्ट हो रही है क्योंकि यूक्रेन के युद्ध को देखकर बहुत ही अफसोस होता है। जब मानव को मानव के लिए बिल्कुल ही दया, करूणा और माफ करने का कोई अहसास ही न

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प्रेम रस

15 मार्च 2022
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प्रेम रस में शहद रस है,जो चूस पुष्प से निर्मित है।सागर भी गहरा होता,ना गहराई से परिचित हैं।सौंदर्य प्रकृति का एक संदेश हमें सिखलाता है।सुंदरता एक अनुपम कृति,यह अहसास दिलाता है।रोमांस हो जीवन में

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तुम हो तो हम हैं

16 मार्च 2022
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हम नहीं तुम्हारे बिना,तुम हमारी शान हो।महान तुम हो इस दुनिया में, क्योंकि तुम इंसान हो।तुमसे ही मेरा जीवन है,तुमसे ही मेरा यह धन है।तुम हो तो हम हैं यहां,तुमसे ही मेरा बंधन है।तुम ही यह चाहते हो,मेरा

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अधूरी डायरी

17 मार्च 2022
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कुछ भूली-बिसरी यादों में,जीवन को जी रहे।कुछ कड़वे अनुभव थे, कुछ मीठे मिल रहे।अभी अधूरी जिंदगी,अधूरी पड़ी है डायरी।कुछ अभी लिख रहा, कुछ लिख रहा शायरी।कुछ अपने मिल गये, कुछ पराये पाये है।इस जिंदगी की भी

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होली है

18 मार्च 2022
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ढोल की थाप पे थिरके जन-जन, खुशी मनाये भारी।रंग-गुलाल उड़े है गगन में,मिलन होय अति भारी।रंग-बिरंगी धरा रंग जाये,हर तरफ रहे गुलाल उडाये।कुछ कीचड़ को लपेट रहे हैं, हर्षित मन सब का हो जाये।बनें पकवान घर-घ

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जीवन एक छोटी सी कविता

21 मार्च 2022
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जीवन एक बहुत ही सुन्दर कृति है। जिसे ईश्वर और प्रकृति ने बहुत ही सुन्दर तरीके से बनाया है। जीवन की इस राह पर मनुष्य न जाने कितने संघर्ष झेलकर अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास करता है।वह अपने जीवन के ह

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ख्वाहिशें

22 मार्च 2022
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ख्वाहिशें है जिंदगी की, जिंदगी रंगीन हो।दुख आये चाहे कितने,हम खुशी विहीन हो।तोडा है गुरुर गिरि का,अब गये हम सामने।सुख बनो पर जनों का,निकलो तुम कर थामने।हर वक्त की है व्यथा,धूप-छाया बदलती है।कभी

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नारी है सम्मान की मूरत

23 मार्च 2022
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23.03.2021 नारी समाज के एक उस रथ के पहिए के समान है जिसमें दो पहिए हो और एक पहिया निकल जाये या खराब हो जाये तो वह रथ चल नहीं सकता है।उसी प्रकार गृहस्थी जीवन में परमात्मा के दो अद्भुत रूप नर और न

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खो गये हम ख्यालों में

30 मार्च 2022
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हम बैठे थे घर अकेले, सोच रहे थे दुनिया की। खो गये हम ख्यालों में, क्या नीयत है दुनिया की। मन घूम गया इस दुनिया में, कुछ अपनों की खोज में। लौटा था उम्मीदें लेकर, खाली आया खोज मैं। अपने सारे खोज लिये, क

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ऐसा एक परिवर्तन हो

3 अप्रैल 2022
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मुझे गरीबी, शिक्षा और रोजगार पर,एक साक्षात्कार चाहिए।जो मोहताज है इन सबको,उनका सोल्यूशन चाहिए।फ्री की सुविधा देने को,क्यों रूपये को बर्बाद करें।तीन चीज यदि फ्री कर दें,देश में प्रगति के द्वार खुले।स्व

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खत्म हो गया

5 अप्रैल 2022
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दुनिया में सब खत्म हो गया,प्रेम और भाईचारा सो गया।स्वहित की सब बातें करते,परहित का गुण लोप हो गया।लालच में सब अंधे प्राणी,बदल रहे हर पल जुवानी।गला काटकर खेल खेलते,धोखा कर करते मनमानी।दया,करूणा ना बची

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शोर

7 अप्रैल 2022
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मैं शांत हूं दुनिया में, मगर शोर फैला है चहुंओर। किसी से लूटपाट हो रही है, कहीं लड़ाई का शोर। बालात्कार के किस्से छप रहे, हर रोज अखबार में। दरिंदे घूम रहे हैं , खुले बाजार में। अनाथ बच्चे भूख से, बिलख

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मेरे ईश्वर

8 अप्रैल 2022
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माता-पिता मेरे लिए भगवान है,मेरा मान है मेरा सम्मान है।उन्होंने बड़ी नाज से पाला मुझे,हर ख्वाहिश से संवारा जहान है।कभी मेरी इच्छा अधूरी ना रखी,हर दिन मुझे प्यार दिया।अपनी इच्छा खत्म कर ,मुझे यह संसार

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मैं और तुम

10 अप्रैल 2022
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अनजान थे मैं और तुम, जिंदगी की राहों में, दिल से दिल मिले, आ गए तेरी बांहों में। ना मंजिलें थी तुम्हारी,ना रास्ते हम तुम्हारे। अब मंजिल भी तुम,रास्ते भी तुम हमारी निगाहों में। मैं जीता हूं तुम्ह

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दुनिया से परे हो तुम

22 अप्रैल 2022
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अपने अंदर आग जलाओ, अपने को पहचानो तुम। एक अनोखी शक्ति हो तुम, दुनिया से अलग हो तुम।। शंखनाद घट भीतर बाजे, मौन हो रहे दुनिया के शोर से। दिल में उजाला हो जायेगा, रूबरू होंगे अन्तर्मन से।। एक अनौखी रखते

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पृथ्वी दिवस

22 अप्रैल 2022
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रत्न आभूषण गर्भ में तेरे, गिरि खड़े बन ताज है तेरे। सरिता अमृत है तेरा, खाना बन तरू खड़े भतेरे।। तेरी मिट्टी का अंश मनुज है, तेरे गर्भ से पैदा हम है। तेरी गोदी में पले बढे हम, तेरी दुनिया के खिलौने हम

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थकती सी जिंदगी

23 अप्रैल 2022
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थक गई है मनुष्य की जिंदगी,किस दिशा में चली गई है जिंदगी।समय बहुत है पर समय नहीं है,दुनिया में कहां खो गई है जिंदगी।।रिश्ते अधूरे काम भी अधूरे,इंसानियत के अरमान भी अधूरे।विश्वास का गला घुटा है,हर जन पर

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मानव से मानव जलता क्यों

29 अप्रैल 2022
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"मनुष्य से मनुष्य क्यों जलता है?"वर्तमान में मानव का स्वभाव का लगातार पतन होता जा रहा है। इस समय में कोई भी मनुष्य दूसरे मनुष्य को देखकर जलने लगा है। हर आदमी नीचा दिखाने के लिए अपने सारे सुखों का त्या

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जीवन क्या हो गया है?"

29 अप्रैल 2022
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"जीवन क्या हो गया है?"मनुष्य का जीवन दुनिया की सभी चीजों से बहुत ही मंहगी वस्तु है। जिसकी कोई कीमत नहीं होती है। मनुष्य जीवन जीने के लिए ही इस दुनिया में सारे लोग इधर से उधर भाग-दौड कर रहे हैं। म

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अंधविश्वास

30 अप्रैल 2022
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भारत में अधिकतर लोग आस्तिक हैं। इसी आस्तिकता का फायदा उठाकर कुछ पाखंडी और ढोंगी लोग जो घर से परेशान होकर संन्यासी बनने का झूठा नाटक करते हैं। इन लोगो का मकसद नशा करना,झूठ बोलकर रुपया कमाना और अश्लील ह

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डर लगता है

1 मई 2022
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जीवन में भय ने भयभीत कर दिया है।दुनिया की हकीकत से दूर कर दिया है।बवंडर बनाये बैठे हैं लोग,अंदर महफिल जमाये बैठे हैं लोग।बाहर की दुनिया में खलबली है,अंदर अपनी जान बचाये बैठे हैं लोग।मैंने चेहरे की सुं

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दुनिया के अजब नजारे (प्रकृति) 6 मई

7 मई 2022
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मोहित करती यह दुनिया मुझे, प्रकृति के गजब नजारे है। कहीं गिरि कहीं नदियां बहती, कहीं उपवन महकें बहु सारे है। इस दुनिया की अद्भुत कृति, मानव का रुप निराला है। पंचतत्व का आश्चर्य संगम, खड़ा मिट्

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हत्या

7 मई 2022
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मानवता की हत्या करके, मनुष्य बन जो घूम रहे। मद में अंधे होकर के, धन के मोह में फूल रहे। अपना जमीर जो बेच चुके हैं, घातक है इस दुनिया में। जो छुरा घोंपने पीठ पीछे,अरिमित्र इस दुनिया में।

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माता तुम कितनी महान हो

8 मई 2022
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जीवन की खुशियां तूने दी हमें,ममता की छाया तूने दी हमें।मेरी हर इच्छा तेरा लक्ष्य था,दुनिया की हर चीज हिम्मत दी हमें।।ताकत है तू मेरी इस दुनिया में,हिम्मत है मेरी इस दुनिया में।कर्ज इतने ही है कि मैं च

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मां मेरी सांस है

8 मई 2022
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मेरी जिंदगी की हर सांस है,मेरी हर खुशी का विश्वास हैतुम तरु हम छाया तेरी,हर खिलते हुए फूल की सुवास है।।तेरी दुनिया मेरा स्वर्ग है।मेरा जीवन तुझसे ही स्वर्ग है।सारा जहां नहीं चाहिए मुझे,तेरे चरणों में

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मां कुछ माया

8 मई 2022
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मनुष्य की जिंदगी में मां का स्थान सबसे ऊंचा होता है। मां को इस दुनिया में हमेशा ममता की देवी माना जाता है। लोग कहते हैं कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"अर्थात जन्म देने वाली मां और जन्मभूमि इस

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भागते हुए जीवन के बंदे हैं हम

9 मई 2022
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भागते हुए जीवन के बंदे हैं हम,समय की गति तेज है पीछे है हम।दुनिया भाग रही हर पल के पीछे,उड़ते हुए गगन के परिंदे है हम।।अभिलाषाओं के पीछे दौड रहे हम,शांति की खोज में बैचेन है हम।खोज रहे दुनिया में शांत

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मेरा ग़म कितना कम है

9 मई 2022
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भूखे हैं पेट भोजन को तरसती जिंदगी,चुनती है कचरे से खाना यहां जिंदगी।।प्यासे हैं मरूस्थल में तड़पती जिंदगी,एक बूंद जल की उम्मीद बांधे जिंदगी।।तमन्ना है उड़ने की पंख उगाने की हिम्मत नहीं,आसमान की तरफ उम

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पापा की परी हो तुम

10 मई 2022
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किसी के आंगन की खुशियां हो तुम,महकते उपवन का सुमन हो तुम।मां की उम्मीदों का विश्वास हो तुम।पिता के आंगन की सुंदर चिड़िया हो तुम।।नटखट हो तुम आंगन में जब घूमती।उठा लेती हो सारा घर सिर पर।तेरी चंचलता चप

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मैं इंतजार कर रहा हूं

11 मई 2022
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हंसती-रोती इस दुनिया में मैं जीवन जी रहा हूं।कभी लहु के घूंट कभी अमी बूंद पी रहा हूं।भयभीत हैं यहां दुनिया, सच्चाई की राह को उदास देख रहा हूं।सच्चाई की कब होगी जीत,मैं इंतजार कर रहा हूं।रिश्तों की कड़

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मुझे अफसोस है

11 मई 2022
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जीवन में मुझे कोई अफसोस नहीं है,अफसोस है तो उन राह देखती आंखों की,जो चौराहों पर पेट के लिए भानु का तेज झेल रही है।झेलती है डांट-फटकार और मार लात-घूंसो की,लेकिन जीवन बचाने सब कुछ झेल रही है।म

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मेरी पहली कमाई

12 मई 2022
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मेरी पहली कमाई थीसमर्पित माता पिता को।मैं खुश था जिंदगी मेंपहली बार मेहनत की कीमत मिली।यह वक्त था जबजीवन की शुरुआत की थी।यह लाख नहीं थीकुछ हजार ही थी।लेकिन मेरी मेहनत का फल थी।हाथों में लेक

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जज्बात

13 मई 2022
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जज्बात जन जीवन में,एक सीमा तक होने चाहिए।अति में विनाश निश्चित है,जज्बाती ना बनना चाहिए।ज्ञान अधूरा रखता है जन,दुनिया के इस मेले में।जज्बातों में फंस जाता है,जो लेता निर्णय अकेले में।जज्बातों के कारण

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हम दोनों

13 मई 2022
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हम दोनों है इस दुनिया में एक-दूसरे क के लिए।हम हैं सबसे अलग और अनौखे,इस दुनिया के लिए।।दिल की दुनिया ने हमको एक बनाया।वह दिन था जब अनजान राहों को एक बनाया।।हम राही थे अलग-2 राह के,थी अल

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शब्दों के पंख अगर होते

14 मई 2022
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शब्दों के पंख अगर होते,नहीं होता दुनिया में शक,नहीं होता दुनिया में असमंजस,ना चिठ्ठी होती,ना पत्र होते,मेरी प्रियशी को मन कुछ बात बताते,मैं क्यों झेलता उससे जुदाई,जब मन होता उड़कर मेरे मन की बात सुनात

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असफलताओं को गले लगाओ

15 मई 2022
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असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए,एक चुनौती स्वीकार कर अपनाना चाहिए,जिंदगी है तो असफलता है जरूर,असफलता से कदम नहीं रूकने चाहिए।।असफलता दस्तक देती है हर जन के द्वार,असफलताओं से पार हो बना है यह संसार,असफलत

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तनाव

16 मई 2022
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चिंता होती है जब मुझे,करता हूं इस गहरी खाई में।आंखें बंद हो जाती है,चिंता की विदाई में।करता हूं कोशिश,ध्यान स्थिर करने की,भृकुटी की ज्योति को,जगाने की।।ध्यान करना ही योगा है,तनावमुक्त होने का सौ

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दुनिया ना है सुनने वाली

16 मई 2022
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ज्ञान बांटने का समय ना रहा,घटा छा रही शक की काली।मत समझाओ इस दुनिया को तुम,दुनिया ना है सुनने वाली।।फायदा समझती समझाने को,सच्चाई का गला घुट रहा।इस दुनिया में हर मनुष्य का,एक-दूसरे से विश्वास मिट

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जीवन का तोहफा

17 मई 2022
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दुनिया में मिले मुझे तोहफे,धन-दौलत के आगे फीके।ना खरीद सकता मैं धन से,ना मिले बाजार में जाके।।मां-बाप का आशीष है तोहफा,मां -बाप का प्यार है तोहफा,मां-बाप का संग है तोहफा,मां बाप की कृपा है तोहफा।।परिव

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प्यार, विश्वास घात और बदला

18 मई 2022
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प्यार नहीं रहा इस दुनिया में,प्यार के झूठे चेहरे हैं।करें दिखावा अपनों के संग, घाव करे दिल गहरे हैं।तरस रहे मां-बाप प्यार को,सुत को परवाह नहीं रही।कहीं सुत तरसे मां-बाप के प्यार को,आंखें प्यार को

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जीवन मेरा खुशहाल हुआ

18 मई 2022
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मुझे मिला एक वर्चुअल क्लब,तन को स्वस्थ बनाने को।मिला मुझे एक नया तरीका,जीवन का वक्त बिताने को।खाने पीने का पता नहीं था,क्लब से सब कुछ सीख गया।घर बैठे ही जीवन के कुछ,अच्छे नुक्से सीख गया।।दिनचर्या ही ह

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बचो जिंदे भूतों से

19 मई 2022
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मन में भय होता है बन जाते हैं भूत, उस आंधी रात को, घोर अंधेरा चारों तरफ सन्नाटा, मंदी-मंदी सी हवा, पेड़ों कुछ टहनियां हिल रही थी। उस सुनसान रास्ते पर मैं अकेला निकला, अचानक से देखा, प्रतीत हुआ खड़ा

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कहां विलीन हो गये इंसान

19 मई 2022
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जहां देखूं वहीं पर खडे हुए हैवान,निर्दोषों की बलि दे रहे शैतान।मैं ढूंढता फिर रहा हूं इस दुनिया मेंकहां विलीन हो गये इंसान।।जो कटे हुए पंखों से उडना सिखाते थे,जो उजड़े हुए चमन में हरियाली लाते थे,जो आ

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मेला

19 मई 2022
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यह दुनिया है जिंदगी में एक मेला,जहां हर मंजिल पर मनुज है अकेला।भाग-दौड भरी जिंदगी में कभी खुशी कभी गम।इस दुनिया में है खलबली का रेला।दुनिया की भीड़ में देखें है हमने बहुत किरदार,कोई बना हुआ राम कोई वि

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हां सच कर लिया सपनों को

21 मई 2022
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बचपन था मेरा बहुत प्यारा, इस दुनिया से अनजान था बेचारा। जब भी आवाजें आती गगन से, देखता उस गगन का नजारा। उड़ता हुआ एक छोटा सा विमान, गगन में विचरण करता था न्यारा। सोचता था कैसा होगा यह, इ

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झपकते से पलक से कम हो गई जिंदगी

21 मई 2022
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जिस जिंदगी पर मानव तुझे इतना गुरूर है।जन्म पाया है तो तेरी मृत्यु जरूर है।जब तलक है पवन का इसमें आवागमन।तेरी जिंदगी के लिए अमूल्य है पवन।ना तुझको पता ना मुझको पता।हो जाये न जाने कब जिंदगी में खता।एक क

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मिट्टी से निकलती मुस्कान -1

22 मई 2022
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गांव की मिट्टी से पैदा हुआ कोई भी बचपन अपनी मुस्कान मिट्टी में ही ढूंढ लेता था। उस समय के वे कच्चे आंगन और घर में कच्ची सड़कें और गांव के हर चोराहे पर कच्ची जमीन हर किसी की मुस्कुराहट के लिए काफी थी।

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वंचित हैं जन

23 मई 2022
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वंचित क्यों किया जाता है,मनुज है तो मनुज समझ।तू भी मनुज है वह भी मनुज,उसे ना तू हीन समझ।दीन है वह इस दुनिया में,तो इसमें उसका क्या है कसूर।क्यों भेद करता है हाड ,मांस के ढांचे में,उसके तन से क्य

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समय

23 मई 2022
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अनवरत गतिशीलअविराम गतिशीलभविष्य के अनुगामी भूत के पश्चगामीना अंधकार रोक सका ना प्रकाश रोक सकाआंधी, तूफान और मेघों का,तीव्र वेग भी ना रोक सका।।जन के वर्तमान में,भविष्य के सपनों में।ना कोई परा

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खामोशी

24 मई 2022
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हर खुशी के माहौल में,क्यों खामोश है‌ दुनिया?हर तरफ मनुज बैचेन है,क्यों क्रोध द्वेष में जल रही दुनिया?वृद्ध जन हर तरफ खामोश है,बच्चों के प्रेम को तड़प रहा है।प्रेम और ममता है खामोश,इस दुनिया का चरित्र

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दिल तो बच्चा है

26 मई 2022
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दिल तो बच्चा है, दिल हमेशा सच्चा है। दिल बडा हो जाता है न जाने कब? बचपन की खुशियां होती है अनुपम। दिल बचपन मुझे याद आता है। कभी-कभी मां की गोद में सुला जाता है। मां कहती हैं तुझमें बचपन अभी भी मौजूद

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सच लंगड़ा हो गया है

26 मई 2022
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हां मैं खड़ा नहीं रह सकता इस दुनिया के दबाव में। क्योंकि झूठ बन गया है जन दिल हड्डी कबाव में। मैं सीधा खड़ा नहीं रह सकता हूं, टिकता हूं एक सीमा तक। लेकिन थककर डगमगाने लग जाता हूं, नहीं पहुंच पाता हूं

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खबर कितनी सच है

28 मई 2022
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हर खबर पर यकीन कैसे करूंकैसे कहूं कि सच या झूठदेश का चौथा स्तंभ है मीडियालेकिन यहां पर पड़ गई फूटधन के लालची हैं मनुष्य बेच रहा है अपना ईमान झूठ के हाथटूट रहा विश्वास हर मनुज काबन गया कठपुतली रहन

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स्कूल की वो यादें

29 मई 2022
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एक थाली में खाते थेएक राह में जाते थेमर मिटते थे एक-दूसरे के ऊपरना दिन में ना रात में कभी विलग नहीं रह पाते थे।ना द्वेष थी ना ईर्ष्याकलह को हम नही समझते।प्रेम था हमें एक-दूसरे सेएक-दूसरे के लिए सहायक

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अभिव्यक्ति पर अफसोस नही

30 मई 2022
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विराम रखो उन शब्दों पर जो मानव के मन ठेस पहुंचायें।अभिव्यक्ति की आजादी का व्यर्थ में ना फायदा उठायें।।अभिव्यक्ति की आजादी हैसच्चाई के पथ चलने को।गलत को गलत कह सके,

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जब मन उदास हो

30 मई 2022
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जब मन उदास होउसे याद करो जो तुम्हारा खास हो।मन पर नियंत्रण करना सीख लो।दिल की बातें सुनना सीख लो।याद करो खुशियों के पल।मन की उदासी मिटाने का है हल।ध्यान करो मेरा जन्म है किसलिए।दुख जिंदगी में होता है

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भेदभाव

31 मई 2022
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भेदभाव किससे करते हो, मानव से मानव अलग नहीं। हर मानव के वहीं चर्म है वहीं मांस है रक्त वहीं। छुआछूत और भेदभाव , मानवता के सच्चे दुश्मन है। जो जन की कीमत कम करते, ऐसे दुनिया के दुर्गुण है। जब एक चांद ह

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अधूरापन

2 जून 2022
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जिंदगी है खाली-खाली तेरे बिना,हर खुशी है अधूरी यहां पर तेरे बिना।जो मुस्कान मुझको दी है तूने,वह स्थिर नहीं रह सकती है तेरे बिना।हंसते हुए फूलों सी मुस्कान जब बिखेरती,अधूरापन सा रहता है जब दूर चली जात

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नफरत

3 जून 2022
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नफरत है उस दुनिया से,जो मानवता को हीन करे।मानव के हक को छीन यहां,मानव को पराधीन करें।नफरत है ऐसी दुनिया से,जो रिश्ते तोडकर फूल रही।धन के लालच में अंधी होअपनों की पीडा भूल रही।नफरत है उन हवस दरिंदों से

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चमन उजड़ गया है

5 जून 2022
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कितनी हरी-भरी थी वह जिंदगीवह दोस्तों का साथ एक उपवन की तरह था सुगंधित।जहां हर वक्त खुशियों के फूल खिलते थे।हर दोस्त की दोस्ती थी प्यार और अपनेपन से था बंधित।बैचेन रहते थे दोस्तों से मिलने के लिए हर वक

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इंतकाल है मेरा

9 जून 2022
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डर है इंतकाल से तुझे भी मुझे भी।डर है हर सांस से तुझे भी मुझे भी।साहस करता हूं की डरना छोड़ दूं।साहस करता हूं कि चिंता छोड़ दूं।जब नाम आता है श्वासों के खोने का।मन करता है अंदर से रोने का।कुछ पल और जी

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प्यार का इम्तिहान

12 जुलाई 2022
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हर इम्तिहान से गुजर जाऊंगा,दिल की परीक्षा में।ना तोडूंगा तेरा विश्वास,इस दिल की परीक्षा में ।मैंने दिल से किया है प्यार, नजरों को साक्ष्य बनाया।धरा और गगन को तेरे मेरे प्यार का गवाह बनाया।हर दिन और रा

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