यह एक सामाजिक संवेदना युक्त रोमांटिक रचना की शुरुआत है।।
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भाग-1 अस्पृश्यता या छुआछूत एक प्रेम कहानी है जो समाज में निचले तबके के लोगों के प्रति रखी जाने वाली हीन मानसिकता पर सीधा प्रहार करती है। इस रचना में नायिका योग्य , सुंदर , सुशील और निम्न वर्ण की लड़की
गौरी :- पतली कमर और लहराते घुंघराले लंबे -लंबे बाल, चपटी और पतली सी नाक ,मांझरी आंखें और खिलते हुए गुलाब की तरह मुस्कान भरा चेहरा उसे उसकी भोली और सुंदर सूरत पर घमंड करने के लिए प्रेरित करता था । लेकि
मुख्य गांव से दूर बसी हुई एक कच्चे मकानों की बस्ती जहां पर घास-फूंस की दुनिया नजर आ रही थी। इन लोगों को यह बिसात उनके पूर्वज देकर चले गए कि उन्हें इन्हीं झोपड़ियों में जीना है। एक तरफ आजादी की लड़ाई ख
रामू:-मेरी चौदह साल में शादी होते ही मेरे कंधों पर जिम्मेदारी आ गई। नई -नई किस्तूरी और हमारे छोटे से झोपड़े में रहने वाले दस बारह लोग। जगह बहुत कम पड़ रही थी। धीरे-धीरे बेगारी की प्रथा शुरू हुई और हम