27 अक्टूबर 2015
49 फ़ॉलोअर्स
लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
ज़िन्दगी की मुश्किलें ,दुशवारीयाँ,कर रही हैं , मौत की तैयारीयां। फासले बढ़ने लगे , हैं बे- बजह, दे रहीं धोखा , मेरी परछाइयां।
वो रोज़ आग पर दाल पकाती हैचमचे से खूब चलाती हैहर शक्स को छोंक कर खिलाती हैउम्र के अंतिम मुहाने तक अपने बाल पका कर भी उस ही घर में अपनी दाल क्यों नहीं पका पाती .............
मैगी की शुरुआत इतनी नयी नहीँ है जितना की आम आदमी भारत में सोचता है। मैगी का प्रचलन 2004 के बाद बहुत ज्यादा बढ़ गया पर क्या आपको पता है कि आपके पसंदीदा खाद्य पदार्थो में से एक रहे मैगी का इतिहास क्या है? आखिर कितना पुराना है आपका मैगी ब्राण्ड? आइए हम आपको बताते है।मैगी का इतिहास(9/10/1846 - 19/101912)
जैसे दर्पण के सामने कुछ भी रखा जाए वह उसे बिल्कुल वैसा ही प्रतिबिंबित करता है, उसी प्रकार जब आपका मन रूपी दर्पण बिल्कुल शान्त हो जाएगा, तो आप दूसरों के वास्तविक गुणों को इसमें प्रतिबिंबित होते देख पाएंगे । यदि आप सदैव सबका भला करते रहते हैं और शान्त व ध्यानजनित अवस्था में रहते हैं, तो जो कोई भी आपके