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दिल का दिया जला सको तो....

13 नवम्बर 2021

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रोज आया-जाया करते हो आंगन तक मेरे,

कभी मेरे घर पे ठहरो तो कहें।

महफिलों में वफ़ा-ओ-उत्फत दिखाते रहे हो,

कभी तन्हाइयों में हाथ चूमो तो कहें। 

मुझे मालूम है हकीक़त इन दीवालियों की, 

दिल का दिया जला सको तो कहें। 

खूब देखी है तेरे चेहरे पे बिजलियों सी चमक,

दिल के भीतर खिल सको तो कहें। 

मुझसे खूब मिलते रहे हो मुसर्रतों के दौर में

रंज-ओ-गम में आया करो तो कहें।

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