" हसरत ना की है हमने किसी के दिल में जगह पाने की...
शिकायती निगाहें, तानों से भरी जूबान से कभी मिठास पाने की....
तकलीफ़ बहोत है तुम्हें हमसे, आरूजू हमसे दूर हो जाने की...
पर ये मंजूरे खुदा भी नहीं होता, ये आरज़ू रंग लाने की...!!!!! 🖤🖤
जुबाने खंजर भी खुब चलाया हमपर, छलली भी हम हर बार हुए...
पर दिल पत्थर है हमारा, इसलिए तेरे हर तीर बेकार हुए...
फ़िक्र ना कर ऐ ज़ालिम, तेरी ये आरज़ू भी एक दिन पुरी हो जाएगी....
जिस दिन इस जिस्म से ये रूह निकल जाएगी...!!!!!🖤🖤
by: Santoshi " Katha"