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एक लड़की ऐसी थी..

2 फरवरी 2022

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         भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम निपटा दिया करती स्कूल जाने से पहले। घर आने के बाद भी छुटूर पुटूर निपटा देती, कुएं से पानी खींच लाती माँ के आने से पहले। स्कूल भी दूर ही था, पैदल जाया करती, रास्ते में एक बड़ी सी खूंखार लड़की अक्सर उसे पीट दिया करती कभी कभी घर से मिले पचीस-पचास पैसे भी उस खूंखार के हाथ लग जाते और वो घर मे डर के मारे बताती भी नहीं कि कहीं डरपोक समझ कर और डांट न पड़ जाए। और भी साथी स्कूल जाते थे साथ में पर स्कूल नियमितता के मामले में अकेली थी इसलिए उस खूंखार से पिटाई खाने का चांस भी इन्ही मोहतरमा को मिलता। मजेदार बात तो ये है कि उसके हाई स्कूल पहुंचते पहुंचते उस खूंखार की शादी भी हो गयी और बच्चे भी। बाद के दिनों में जब वो स्कूल से वापसी के समय बस से उतर कर घर आ रही होती तो वो खूंखार जोर जोर से पुकारती और और बैठने को कहती वो अब प्यार वाली दीदी बन गयी थी।

      सच मे उस भोंदू का बचपना यादों को चोटिल भी कर देता है और गुदगुदी भी।

fatima bhartendu miree की अन्य किताबें

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एक लड़की ऐसी थी..

12 जनवरी 2022
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     उस दिन उसका जन्मदिन था, दोस्तों ने बोला था कि हम आएंगे, कहीं बाहर चलेंगे  और तुम्हारा जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाएंगे। अगले दिन वह तैयार हुई और एक सहेली के साथ घर से डेढ़ किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर आ

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एक लड़की ऐसी थी..

26 जनवरी 2022
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      वो पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का शौकीन थी और लिखने की भी। उसके घर मे नवभारत नाम का एक दैनिक समाचार पर आता था। वह न्यूज़ पेज के अलावा भी बाकी खंड भी बड़े शौक से पढ़ा करती थी। उस पेपर में प्रति बुधवार एक सा

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2 फरवरी 2022
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         भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम

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हवा हूँ मैं

11 मार्च 2022
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हवा हूँ मैं बहना मेरी फितरत है ,यूँ मेरे साथ बह जाने की ज़िद ना करो . शमा हूँ मैं ज़लना मेरी किस्मत है ,यूँ मेरे साथ जल जाने की ज़िद ना करो  सावालों का सावालों से जवाबो का जावाबों से रिश्ता ये अजिब है

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