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एक लड़की ऐसी थी..

12 जनवरी 2022

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     उस दिन उसका जन्मदिन था, दोस्तों ने बोला था कि हम आएंगे, कहीं बाहर चलेंगे  और तुम्हारा जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाएंगे। अगले दिन वह तैयार हुई और एक सहेली के साथ घर से डेढ़ किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर आकर दोस्तों की प्रतीक्षा करने लगी। काफी देर बैठने के बाद दोस्त दिखे नहीं पर वो दोनों बैठी रहीं। कुछ देर बाद दूर से एक साधारण सी कदकाठी की एक लड़की साइकिल से चली आ रही थी, अरे ये तो जया है,,, वह उछल पड़ी। जया उसकी सहेली थी जो काफी दूर गांव से उसी से मिलने चली आ रही थी। अब क्या करें ,, तीनों सोच में पड़ गयीं फिर तय किया कि पास के शहर में पैदल ही चला जाये और कुछ मुह मीठा कम से कम किया ही जाए। तीनो पैदल चल पड़ीं।लगभग पांच किलोमीटर चलने के बाद एक चढ़ाऊँ वाली जगह पर कुछ बच्चे साइकिल पर बोरी में कुछ लादने का प्रयास कर रहे थे। वह अचानक ठिठकी और बच्चों की तरफ मुड़ गयी और उस बोरी को साइकिल पर लदवाया उसकी सहेलियां आगे निकल चुकी थीं, वह भी जल्दी से भागी, अचानक पीछे से आवाज आई- थैंक यू दीदी,, वह मुड़ी और गॉड ब्लेस,,, कह कर आगे दौड़ गयी जिधर सहेलियां मुस्कुराते हुए ठिठकी खड़ी थीं।

fatima bhartendu miree की अन्य किताबें

कविता रावत

कविता रावत

सच किसी के लिए कुछ करने के बाद जो सुकून मिलता है, उसका आनंद ही कुछ और होता है

27 जनवरी 2022

fatima bhartendu miree

fatima bhartendu miree

27 जनवरी 2022

सच कहा,,🙏🙏

रामनिवास मिरी

रामनिवास मिरी

अच्छा प्रयास नानु

12 जनवरी 2022

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एक लड़की ऐसी थी..

12 जनवरी 2022
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     उस दिन उसका जन्मदिन था, दोस्तों ने बोला था कि हम आएंगे, कहीं बाहर चलेंगे  और तुम्हारा जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाएंगे। अगले दिन वह तैयार हुई और एक सहेली के साथ घर से डेढ़ किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर आ

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एक लड़की ऐसी थी..

26 जनवरी 2022
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      वो पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का शौकीन थी और लिखने की भी। उसके घर मे नवभारत नाम का एक दैनिक समाचार पर आता था। वह न्यूज़ पेज के अलावा भी बाकी खंड भी बड़े शौक से पढ़ा करती थी। उस पेपर में प्रति बुधवार एक सा

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एक लड़की ऐसी थी..

2 फरवरी 2022
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         भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम

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हवा हूँ मैं

11 मार्च 2022
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हवा हूँ मैं बहना मेरी फितरत है ,यूँ मेरे साथ बह जाने की ज़िद ना करो . शमा हूँ मैं ज़लना मेरी किस्मत है ,यूँ मेरे साथ जल जाने की ज़िद ना करो  सावालों का सावालों से जवाबो का जावाबों से रिश्ता ये अजिब है

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