वो पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का शौकीन थी और लिखने की भी। उसके घर मे नवभारत नाम का एक दैनिक समाचार पर आता था। वह न्यूज़ पेज के अलावा भी बाकी खंड भी बड़े शौक से पढ़ा करती थी। उस पेपर में प्रति बुधवार एक साप्ताहिक विचार मंच छपता था जिसमे कोई एक समसामयिक विषय पर पाठकों से विचार आमन्त्रित किये जाते और सबसे बेहतर आर्टिकल को पुरस्कृत भी किया जाता था। हर हफ्ते वह सोचती थी कि वह इस बार लिखेगी ही पर हर बार चूक जाती थी। एक हफ्ते की बात है उसने दृढ़निश्चयी होकर सोची कि इस बार वह आर्टिकल लिखेगी ही और वह न्यूज़ पेपर लेकर ही ऑफिस चली गयी वहीं उसने समय निकाल कर अपना आर्टिकल तैयार किया और वापसी में उसे पोस्ट कर दिया।
अगले हफ्ते ....बड़ी उत्सुकता थी उसे अपना आर्टिकल पड़ने का उसने चेक किया उसे बड़ी हताशा हुई, लंबी सांस लेकर उसने पुरुस्कृत विचार चेक किया। अरे ये तो मैं हूँ!!!! वह खुश हो गयी , उसके आर्टिकल को बेस्ट आर्टिकल माना गया था। उस हफ्ते का विषय था " क्या वीरप्पन कभी पकड़ा जा सकेगा" वीरप्पन एक खूंखार अपराधी..।