मानवता खो गई!!!!!
03-06-2022
शुक्रवार
आज मन बहुत व्यथित है, उदास है।
हमारे आसपास होने वाली कुछ घटनाएं हमारी आत्मा को झकझोर देती हैं, मन मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है। इंसानियत,मानवता, दया, प्रेम, सद्भाव सबकी जैसे मृत्यु हो रही है। कलयुग का दानव सब कुछ निगलता जा रहा है।
यह कैसा मनोरोग उत्पन्न हुआ है जो स्वयं को बस दूसरों से ऊंचा, बड़ा दिखाने की चाह में दुर्भावना, विवाद, दूजों का बुरा करने से भी नही घबराता। इंसानियत कहाँ खोती जा रही हैं।
सिधू मुसेवाला की हत्या सरेआम कर दी गई। 24 गोलियों से बदन छलनी कर दिया गया।
इतनी बेदर्दी से किसी की हत्या कर देना??????
मानवता कहां खो गई है ???
क्या जीवन इतना सस्ता है? यह कैसी दुश्मनी जो इंसानियत को ही निगल रही है ? हत्यारे भी तो इंसान ही थे, मानव थे ।
क्या उनकी रूह एक बार भी नहीं कांपी होगी?
क्या उनकी आत्मा ने उनको एक बार भी नहीं धिक्कारा होगा?
कैसे सबकी आत्मा मर सकती है ??
यह कैसा माहौल है कैसी दुश्मनी?
अधिपत्य की कैसी लड़ाई?
कौन सही कौन गलत पता नहीं , परंतु मानव जीवन क्या इतना सस्ता है ईश्वर की बनाई इस अनुपम कृति का मानव कितना अपमान करेंगा ??
स्वरचित एवं मौलिक 📝✍
सरिता बजाज गुलाटी "सिया"