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मेरी दैनन्दिनी (भाग-1) मेरी सखी

1 जून 2022

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02 जून 2022
बुधवार

कैसी हो प्रिय सखी ?
सखी !!! हां तुम ही तो हो मेरी सबसे प्यारी सखी।
अपने हर भाव, हर दुख सुख सदा तुमसे बांटती रही हूं।
तुम ही तो हो, जो मेरी बातों को, मेरे मन को, मेरे विचारों को बिना कोई धारणा बनाएं, झुंझलाए बिना, सब खुद में समेट कर रखती हो।
अपने अंदर की कड़वाहट,  प्रेम, दुख, चिंता, अच्छाई, बुराई सब तुम्हें बता कर मैं निश्चिंत हो जाती हूँ। क्योंकि जानती हूं, की तुम मेरे हर भाव को खुद में समेटकर रखोगी_____हमेशा।
मेरी हँसी कभी नहीं उड़ाओगी ।

मुझ जैसी अंतर्मुखी स्वभाव वाले जाने कितने ही लोगों की सहेली हो तुम।

जीवन के उतार चढ़ाव, सच झूठ, अपनो का प्रेम,छल ,गैरो के वार! अपने मन मे सम्भाल कर नहीं रख पाती मैं। मेरा मन इतना बोझा नहीं ढो सकता। इसलिए तुमसे बांट लेती हूं।
हां जानती हूँ मैं थोड़ी स्वार्थी हो रहीं हूँ। पर तुम ही बताओं, तुम्हारे बिन किससे कहूँ।
कौन है जो तुम जैसा निस्वार्थ है।
उत्तर तुम भी जानती हो।
कोई नहीं, हाँ कोई भी तो नहीं...............

स्वरचित एवं मौलिक 📝✍
सरिता बजाज गुलाटी "सिया"


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जी, बिल्कुल सही कहा आदरणीया 🙏🙏🙏

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