shabd-logo

फुटबॉल वर्ल्ड कप में फ्रांस की जीत से सन्देश

16 जुलाई 2018

192 बार देखा गया 192
featured image

article-imageफ्रांस ने वर्ल्ड कप के फाइनल में क्रोएशिया पर जीत दर्ज की।दोनों ही टीमों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया एक छोटे से देश क्रोएशिया की टीम ने फुटबॉल वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई और फाइनल में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया यह सराहनीय है परंतु फ्रांस की वर्ल्ड कप की टीम में आधे से भी ज्यादा 23 में से 15 खिलाड़ी प्रबासी हैं।यह एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि वर्तमान दौर में पूरी दुनिया में मुख्यतः पश्चिमी देशों ,अमेरिका से लेकर यूरोप तक एवं एशिया में में भी प्रवासियों के खिलाफ एक अभियान चल पड़ा है। प्रवासियों को सरकारें बोझ मानती हैं,किसी भी तरह उनसे छुटकारा पाना चाहती है।उन्हें उनके गृह देश वापस भेज देना चाहती अथवा उनके प्रति संबेदनशील नहीं है प्रबासी अनेक देशों में ख़राब परिस्थितियों में रहने को मजबूर अथवा उन्हें देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है,भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है , सरकारें उन्हें नागरिकों की तरह सम्मान अथवा सुविधाएं नहीं देती,स्थानीय नागरिकों का रवैया भी प्रवासियों के प्रति अच्छा नहीं रहता।


वर्तमान दौर के नेता भी इस दुर्भावना का पूरा राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो अपना चुनाव ही प्रवासियों को अमेरिका से खदेड़ कर बाहर करने के मुद्दे पर लड़ा था। चुनाव जीत भी गए और अब उनकी मनमानी जारी है।

इंग्लैंड के यूरोपियन यूनियन से बाहर जाने के निर्णय में भी प्रवासियों का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा था।

हाल ही में रोहिंग्याओं का मुद्दा ले लें उन्हें तो ना उनका गृह देश अपनाना चाहता है ना ही वे देश जहाँ उन्होंने शरण लेने की कोशिश की।


अक्सर प्रवासियों को विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा बोझ के रूप देखा जाता रहा है और बहां के नागरिकों को लगता है कि प्रवासियों के कारण उनकी नौकरियां छिन जायेगी,अव्यवस्था फैलेगी,प्रवासी अक्सर गरीब देशों से अमीर अथवा कहें की पश्चिमी देशों की और प्रवास करते है तब उन्हें वहां रंगभेद का सामना करना पड़ता है,उन्हें निम्न स्तर का जीवन जीना पड़ता है,उन्हें निम्न स्तर का माना जाता है, नागरिकों की तरह सम्मान भी नहीं दिया जाता। परंतु 2018 के फुटबॉल वर्ल्ड कप से एक बात तो स्पष्ट है की प्रवासी किसी देश पर बोझ नहीं हैं , नाही बे उस राष्ट्र का सम्मान कम करते है , नाही बे उस राष्ट्र के नागरिकों पर बोझ हैं।


2018 के फुटबॉल वर्ल्ड कप में लगभग सभी टीमों में अच्छी खासी संख्या में प्रवासी ख़िलाड़ी थे विशेष रूप से पश्चिमी देशों की टीमों में चाहे विजेता फ्रांस को ले ले जिसमे तो 23 में से लगभग 15 प्रवासी ख़िलाड़ी थे जिसमे मुस्लिम बहुसंख्या में थे,चाहे तो इंग्लैंड को देख ले अथवा बेल्जियम की टीम को देख लें अन्य देशों की टीमों में भी प्रवासी ख़िलाड़ी थे।इससे समाज की यह गलत धारणा की प्रवासी राष्ट्र पर बोझ होते है और वे उस राष्ट्र की उन्नति में सहयोग नहीं कर सकते तो टूटी है क्यूंकि प्रवासी खिलाडियों के बलबूते पर ही फ्रांस ने 1998(तब भी 11 ख़िलाड़ी प्रवासी मूल के थे) के पश्चात् दूसरी बार फुटबॉल वर्ल्ड कप जीता वो भी एक ऐसी टीम के साथ जिसमें अधिकतर खिलाड़ी प्रवासी हैं।

पश्चिमी देशों की सरकारों एवं नागरिकों का प्रवासियों के प्रति व्यव्हार ठीक नहीं है इसका नजारा वर्ल्ड वर्ल्ड कप के दौरान देखने को मिला जब रंग के आधार पर गोरे फुटबॉल समर्थकों ने रंगभेद के नारे लगाये एवं खिलाडियों को बेज्जत करने की कोशिश की।


विभिन्न राष्ट्रों को प्रवासियों के प्रति अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए क्युंकि इस फुटबॉल के वर्ल्ड कप से यह बात तो स्पष्ट है की एक विभिधता से भरी टीम बेहतर साबित हुई ,संगठन शक्ति भी बेहतरीन थी,एकता भी थी,तालमेल भी बेहतरीन था यही कारण रहा की टीम डटकर खेली और जीती।

इससे सन्देश साफ है की विभिधता से परिपूर्ण समाज भी फ्रांस की टीम की तरह समाज एवं मानवता के लिए विजेता सिद्ध होगा।

जनसंवाद की अन्य किताबें

1

दिल्ली में लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं से छेड़छाड़

14 जुलाई 2018
0
1
0

दिल्ली का दंगल,दिल्ली का ड्रामा,धरना वाला मुख्यमंत्री जैसे शब्द आजकल सुनने को मिल जाते है मीडिया,नेता,संविधान बिशेषज्ञ सबके अलग अलग विचार हैं परंतु जो मुलभूत विचार है उसको ठेंगा दिखाने की कोशिश जरूर की जा रही यह स्पष्ट है।विशेषज्ञों का यह मानना है की दिल्ली में यह समस्या तब शुरू हुई जब दो अनुभवी

2

आर टी आई कानून को कमजोर करने की कोशिश

15 जुलाई 2018
0
2
0

प्रशासन में पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार से निजात पाने हेतु बक्त बक्त पर भारत एवं अन्य देशों में कानूनों की मांग लगातार होती रही है।प्रशासन में पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार का मुद्दा पूरी दुनिया में हमेशा से ही एक गंभीर मुद्दा रहा है इसी कड़ी में 2005 में सूचना का अधिकार कानून बनाया गया जोकि आम नागरिकों क

3

मोदीजी के राज में सरकारी नौकरियों की हालत

15 जुलाई 2018
0
1
2

मोदी जी 2014 में प्रधान मंत्री बनने से पूर्व चुनाव प्रचार में गए थे तो युवाओं से वादा किया था कि अगर बीजेपी की सरकार बनी तो हर बर्ष 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देंगे।वादा तो अच्छा था सबने मान भी लिया और युवाओं ने भरपूर वोट देकर पूर्ण बहुमत की सरकार भी बना दी।अब देखते हैं

4

फुटबॉल वर्ल्ड कप में फ्रांस की जीत से सन्देश

16 जुलाई 2018
0
0
0

फ्रांस ने वर्ल्ड कप के फाइनल में क्रोएशिया पर जीत दर्ज की।दोनों ही टीमों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया एक छोटे से देश क्रोएशिया की टीम ने फुटबॉल वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई और फाइनल में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया यह सराहनीय है परंतु फ्रांस की वर्ल्ड कप की टीम में आधे से भी ज्यादा 23 में से 15 खि

5

सोशल मीडिया और भारतीय राजनीति

17 जुलाई 2018
0
2
0

pic credit-anthony bordarao(medium.com)वर्तमान दौर में सोशल मीडिया आम आदमी के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।आप चाहे पत्रकार हों चाहे व्यवसायी हों,विद्यार्थी हो अथवा,किसी सरकारी विभाग में नौकरी करने वाले आम कर्मचारी।सोशल मीडिया ने खास से लेकर आम लोगों की ज़िंदगी पर गंभीर प्रभाव डाला है।व्यवसाय,

6

शिक्षा के प्रति संबेदनशील दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार

18 जुलाई 2018
0
0
0

ऐसा दृश्य भारत के सरकारी स्कूलों में देखने को नहीं मिलता परंतु यह संभव हुआ है दिल्ली में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के प्रयासों से। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में पिछले तीन बर्षों में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिले हैं।वर्त्तमान दौर में केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकारें शिक्षा पर कम ही ध्यान दे

7

सफ़ेद धारियों वाली वो काली सड़क

24 दिसम्बर 2018
1
0
0

सड़क सुरक्षा को लोगों के द्वारा आंकड़ो, दुर्घटनाओं, लोगों की मृत्यु से जोड़कर देखा जाता है जबकि इसका एक और सबसेमहत्वपूर्ण पहलु है जिसका मुझे एवं मेरे जैसे अन्य आम लोगों को प्रतिदिन और दिनमें कई बार सामना करन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए