भले ही छीन के मुझसे तू हर खुशी रख दे,
मेरे खुदा तू मेरा नाम आदमी रख दे ।
गुलों के कत्ल मे शामिल रहे जो अहले -चमन
अब उनके रूबरू तितली की ज़िंदगी रख दे,
मेरे बदन पे मेरी तल्खियाँ उभर आई ,
मैं जल रहा हूँ मेरी आँख मे नमी रख दे ।
ये बेहिसाब उजाले रुला न दें मुझको
तू एहतिआत से थोड़ी सी तिरगी रख दे ।
तमाम वेदों की तशरीह कर चुका है वो ,
लबों पे उसके इबादत की सादगी रख दे ।
अगर गमों से मुझको बचा नहीं सकता ,
तो इतना कर मेरे अहसास मेँ कमी रख दे ।
तू ऐहतियात से थोड़ी सी तीरगी रख दे ।