shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

kanpurkekavi

विनोद त्रिपाठी

4 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

kanpurkekavi

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

मिस्टर & मिसेस मैडम

29 सितम्बर 2015
0
0
0
2

गजल ____ वी ॰के ॰सोंनकिया।

29 सितम्बर 2015
0
3
0

भले ही छीन के मुझसे तू हर खुशी रख दे, मेरे खुदा तू मेरा नाम आदमी रख दे ।गुलों के कत्ल मे शामिल रहे जो अहले -चमन अब उनके रूबरू तितली की ज़िंदगी रख दे,मेरे बदन पे मेरी तल्खियाँ उभर आई ,मैं जल रहा हूँ मेरी आँख मे नमी रख दे । ये बेहिसाब उजाले रुला न दें मुझको तू एहतिआत से थोड़ी सी तिरगी रख दे । तमाम वेदों

3

मेरे लिए. अग्निवेष त्रिपाठी ।

1 अक्टूबर 2015
0
1
1

आदमी हर तरह ज़िंदगी चाहता चाहे जैसे रहे पर खुशी चाहताआबादियां तो हम से आबाद गईं हेंमजबूरियाँ हमारी फरियाद हो गईं हैआज दमन भिगो देगें तेरा भी हम भूल सकते नहीं इस जहाँ के सितम अहसास मेरे दिल का तुमसे जुदा नहीं है तो है करीब मेरे तुझको पता नहीं है

4

आदमी

1 अक्टूबर 2015
0
0
0
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए