कड़ी धूप में तपती रेत पर चलते हुए वो मुश्किलों के दिन। खेत खलिहान में पसीने में नहाई जिन्दगी के थकान भरे दिन।। बन्जर जमीन पर वीरानी के उग आए झन्खाड। कौन चुरा ले गया मेरे घर से रोनक भरे दिन।।
23 दिसम्बर 2016
कड़ी धूप में तपती रेत पर चलते हुए वो मुश्किलों के दिन। खेत खलिहान में पसीने में नहाई जिन्दगी के थकान भरे दिन।। बन्जर जमीन पर वीरानी के उग आए झन्खाड। कौन चुरा ले गया मेरे घर से रोनक भरे दिन।।
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