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लघु कथा सन्ग्रह सिमटत आसम आन लाईन उपलब्ध है

16 जनवरी 2018
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गजल

24 जनवरी 2017
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जब जिन्दगी का सच्चाई से सामना होगा। तभी सम्भव मन्जिल पर पहुंचना होगा।।

कविता

14 जनवरी 2017
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हादसों से लोग अब डरते नहीं। अनदेखे कामों। से गुरेज करते नहीं।।

शुभ कामनाए

31 दिसम्बर 2016
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नव वर्ष का आगमन मन्गल हो।जीवन में खुशियों का वर्षण हो।।मन के उपवन में खिले फूल उम्मीदों के। दुख भरे दिनों का सदा अवसान हो।। नव वर्ष २०१७ की शुभ कामनाएं

गजल

23 दिसम्बर 2016
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कड़ी धूप में तपती रेत पर चलते हुए वो मुश्किलों के दिन। खेत खलिहान में पसीने में नहाई जिन्दगी के थकान भरे दिन।। बन्जर जमीन पर वीरानी के उग आए झन्खाड। कौन चुरा ले गया मेरे घर से रोनक भरे दिन।।

कविता

14 दिसम्बर 2016
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हर तरफ दहशत के घनेरे साए हैं। कौन है वो जिसने सुकून पर ये जुल्म ढाए है।।तनि हैं तलवारें राजनीति की चहुँ ओर।कहाँ है वो जिन्होंने परिवर्तन के दायित्व उठाए हैं।।

गजल

13 दिसम्बर 2016
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बयार परिवर्तन की चली देश कतार में है। सह मुश्किलें अथाह जन नई सुबह के इन्तजार में है।।

गजल

11 दिसम्बर 2016
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उम्मीदें ये तमन्नाए और ये मन्जिलो के दायरे,यही हैं जीवन के सम्भव और सहारे।

कविता

30 नवम्बर 2016
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फजब परिवर्तन का आविर्भाव होता है। जर्जरित परम्पराओं का बिखराव होता है।। उग उठती हैं सुफल की फसलें। चहुँ ओर निनादित सद्भाव होता है।। सिंहासन डोल उठते हैं नरपिशाचो के। नई सोच का जब सिन्हनाद होता है।।

नोटबन्दि

29 नवम्बर 2016
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काले धन को रोकने के प्रयास सराहनीय है।परन्तु इसके परिणाम स्वरूप देश आर्थिक समानता का आविर्भाव होगा।

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